अफसरों की मेहनत पर फिर गया पानी
करीब चार महीने पहले जिला प्रशासन ने शहर से भदौं के ताल को जाने वाले नाले की रात-दिन लगकर सफाई कराई थी। इसी नाले के जरिए शहर की नालियों का अधिकांश पानी भदौं के ताल को जाता है। सफाई होने से राहत भी मिली। लेकिन इसके बाद जिम्मेदारों ने कोई प्रयास नहीं किए और फिर यह नाला गंदगी से अट गया है। बरसात बहुत दूर नहीं है यही हालात रहे तो शहर फिर जलभराव की समस्या से जूझेगा।
एटा, जासं। करीब चार महीने पहले जिला प्रशासन ने शहर से भदौं के ताल को जाने वाले नाले की रात-दिन लगकर सफाई कराई थी। इसी नाले के जरिए शहर की नालियों का अधिकांश पानी भदौं के ताल को जाता है। सफाई होने से राहत भी मिली। लेकिन इसके बाद जिम्मेदारों ने कोई प्रयास नहीं किए और फिर यह नाला गंदगी से अट गया है। बरसात बहुत दूर नहीं है, यही हालात रहे तो शहर फिर जलभराव की समस्या से जूझेगा।
शहर के नाले-नालियों का अधिकांश पानी भदौं के ताल में जाता है। जिससे शहर को 7.5 किमी लंबा नाला जोड़ता है। पूर्व में इस नाले की अरसे से सफाई नहीं हुई थी। शहर का पानी बाहर नहीं जा पाता था और बरसात में हालात बिगड़ जाते थे। जबकि किदवई नगर, होली गेट आदि इलाकों में तो सामान्य दिनों में भी पानी भरा रहता था। अधिक लागत और अधिकांश हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में होने के कारण सफाई कार्य से अफसर बचते थे। पिछले साल अक्टूबर में तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट महेंद्र सिंह तंवर ने 13 दिनों में रात-दिन काम कराते हुए नाले की सफाई करा दी। जिससे होली गेट, किदवई नगर आदि इलाकों में जलभराव की समस्या से लोगों को निजात भी मिली। नगर पालिका की जिम्मेदारी थी कि सफाई कार्य निरंतर कराया जाता। लेकिन जिम्मेदार इसे भूलकर बैठ गए। अब हालात ये हैं कि होली गेट, किदवई नगर, अलीगंज रोड से आगे तक नाले में गंदगी भरी पड़ी है। कुछ स्थानों पर तो यह चोक ही हो गया है। ऐसे में तय है कि आने वाले समय में बरसात का पानी बाहर नहीं जा पाएगा और शहर की सड़कों-गलियों में जलभराव की स्थिति से जूझना होगा। वर्जन
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बरसात से पहले शहर के सभी नाले-नालियों की सफाई का कार्य वृहद स्तर पर कराया जाएगा। इस नाले को भी साफ कराएंगे। लोगों को समस्या नहीं होने देंगे।
- मीरा गांधी, पालिकाध्यक्ष, एटा नपा परिषद