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टेंपो में चलने को मजबूर सरकारी डॉक्टर

जागरण संवाददाता, एटा: स्कूलों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य चेक करने को नियुक्त डॉक्टर टेंप

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Mar 2018 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 30 Mar 2018 05:01 PM (IST)
टेंपो में चलने को मजबूर सरकारी डॉक्टर
टेंपो में चलने को मजबूर सरकारी डॉक्टर

जागरण संवाददाता, एटा: स्कूलों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य चेक करने को नियुक्त डॉक्टर टेंपो में धक्के खा रहे हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ब्लॉकों पर मेडिकल टीमों की तैनाती है। जिनके परिवहन के लिए एसयूवी गाड़ियां किराये पर लेने के निर्देश हैं। लेकिन लगातार चौथी बार गाड़ियों का टेंडर फेल होने की स्थिति में है।

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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों से लेकर इंटरमीडिएट कालेज तक के छात्र-छात्राओं का स्कूल में डॉक्टरी परीक्षण किया जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन या चार सदस्यों वाली 16 टीमें नियुक्त की हैं। हर ब्लॉक पर नियुक्त दो टीमें अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में पहुंचकर छात्र-छात्राओं का मेडिकल परीक्षण और जरूरी उपचार करती हैं। गंभीर बीमारी पाए जाने की स्थिति में उन्हें संबंधित स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। इन मेडिकल टीमों के क्षेत्र भ्रमण के लिए गाड़ियों के भी इंतजाम किए गए हैं। प्रत्येक ब्लॉक पर दो-दो वाहन की व्यवस्था है। करीब दो साल पहले टेंडर हुआ था। जिसमें वातानुकूलित गाड़ियां लिए जाने के निर्देश थे। यह भी कहा गया था कि एसी गाड़ी न मिलने की स्थिति में टैक्सी परमिट अन्य वाहन लगाए जाने की भी बात कही गई थी। लेकिन विभाग ने एसी गाड़ियों के लिए माथापच्ची किए बिना टाटा मैजिक गाड़ियां अनुबंधित कर लीं। जबकि इस बात का ध्यान ही नहीं दिया गया कि इन गाड़ियों में डॉक्टर बैठकर जाएंगे। नौकरी कर रहे डॉक्टरों को मजबूरी में इन टेंपो में गांव-गांव भटकना पड़ा। उम्मीद थी कि एक साल पूरा होने पर इनसे पीछा छूटेगा। लेकिन नई टेंडर प्रक्रिया शर्तों में ही उलझकर रह गई। शासन से तय शर्तों के मुताबिक सभी एसयूवी गाड़ियां चाहिए। टेंडर भी कम से कम तीन फर्मों के होने चाहिए। हाल में 28 मार्च को टेंडर खोले गए। कुल तीन ही टेंडर आए थे। इनमें से तकनीकी खामी के चलते एक खुला ही नहीं। जबकि तीन टेंडर होना जरूरी हैं। इस वजह से प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। उधर, डॉक्टरों की टीमें टेंपों में धक्के खाने को मजबूर हैं। अधिकारी की बात

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हो सकता है पूर्व में टैक्सी परमिट कोई भी वाहन लगाने की अनुमति दी गई हो। वर्तमान में इक्का-दुक्का ही मैजिक गाड़ी चल रही हैं। अधिकांश छोटी गाड़ियां लगी हुई हैं। अगले टेंडर में केवल एसयूवी गाड़ियों का ही ही अनुबंध किया जाएगा। सोमवार को तीसरा टेंडर नहीं खुलता है तो टेंडर प्रक्रिया फिर नए सिरे से की जाएगी।

- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ


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