सरकारी अस्पतालों में दवाओं का अकाल
सरकारी अस्पतालों में दवाओं का अकाल पड़ गया है। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल से लेकर पीएचसी और सीएचसी तक पर बुखार की दवाएं नहीं हैं। जबकि वर्तमान में बुखार के सर्वाधिक मरीज आ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, एटा: सरकारी अस्पतालों में दवाओं का अकाल पड़ गया है। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल से लेकर पीएचसी और सीएचसी तक पर बुखार की दवाएं नहीं हैं। जबकि वर्तमान में बुखार के सर्वाधिक मरीज आ रहे हैं।
बारिश के मौसम के बाद वायरल, टायफाइड, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि रोग तेजी से पैर पसार रहे हैं। ऐसे में अस्पतालों में बुखार उतारने वाली दवा पैरासिटामोल का अकाल है। यह मरीजों को सर्वाधिक दी जाने वाली दवा है। उधर, प्राथमिक और सामुदायिक अस्पतालों की स्थिति भी ¨चताजनक है। केंद्रों को 20-20 हजार टेबलेट भेजी गई हैं। काली सूची में डालने का नोटिस भेजा
सीएमओ कार्यालय से अप्रैल में ही आर्डर भेजे जा चुके हैं। हफ्तेभर पहले एक कंपनी ने गोलियां भेजी हैं। 10 लाख गोलियों के केवल दो आर्डर वर्तमान में चल रहे हैं। समय सीमा निकलने के कारण अन्य आर्डर निरस्त हो गए हैं। सीएमओ ने दो कंपनियों को काली सूची में डालने के लिए नोटिस भेजा है। दवा तो आईं, लेकिन वितरण में पेच
जिला अस्पताल प्रशासन ने पैरासिटामोल व दर्द निवारक दवाओं का आर्डर दिया था। दो दिन पहले आपूर्ति तो मिली। पैरासिटामोल का एक बाक्स ज्यादा और दर्द निवारक का एक कम आ गया। कंपनी से दवा रिकार्ड के अनुसार बराबर करने को कहा है। इसके बाद ही वितरण शुरू होगा। वर्जन
दवाओं के काफी इंडैंट पें¨डग में हैं। समस्या आ रही है। संबंधित कंपनियों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। अभी दो लाख गोलियां मिल गई हैं। इससे फिलहाल दवा वितरण में कोई दिक्कत नहीं है।
- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ