बाल वैज्ञानिकों के प्रोत्साहन में खुद बाधा बने स्कूल
माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए योजना क्रियान्वित की जा रही है। लेकिन इसका लाभ विद्यार्थियों को नहीं दिया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, एटा: माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए शासन की पहल को स्कूल संचालक ही पलीता लगा रहे हैं। स्थिति यह है कि विज्ञान के मेधावियों के लिए संचालित इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में इस बार जिले के सिर्फ 41 स्कूलों ने भी अपना नामांकन कराया है। ऐसी स्थिति को देख विभाग ने स्कूल के प्रधानाचार्यो को फटकार लगाते हुए चेताया है।
इंस्पायर योजना माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के अलावा अन्य सभी बोर्डो के लिए भी है। योजना के अंतर्गत नामांकन करने वाले स्कूलों में माध्यमिक कक्षाओं के उत्कृष्ट विज्ञान के मेधावियों को एकमुश्त प्रोत्साहन राशि सीधे उनके खातों में भेजी जाती है। इस धनराशि द्वारा विद्यार्थी को विज्ञान के अनुसंधान करते हुए मॉडल और प्रोजेक्ट तैयार कर आयोजित होने वाले विज्ञान संगोष्ठी और प्रदर्शनी में प्रतिभाग कर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। पिछले कई सालों स्कूलों ने योजना में नामांकन करने के लिए काफी उत्साह दिखाया। अब स्थिति यह है कि विज्ञान गतिविधियों और बाल वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने की बजाए अधिकांश स्कूल लापरवाही दिखा रहे हैं। अभी तक नामांकन ही नहीं करा सके हैं। कहने को माध्यमिक शिक्षा परिषद के ही 560 स्कूल संचालित हैं।
इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा विद्यालय अन्य बोर्ड के भी हैं। इनमें से अभी तक की स्थिति यह है कि 10 राजकीय, 25 सहायता प्राप्त तथा सिर्फ 6 वित्तविहीन स्कूलों द्वारा ही नामांकन किए गए हैं। समीक्षा में योजना के अंतर्गत जिले की स्थिति अत्यंत खराब होने के कारण जिला विद्यालय निरीक्षक निरंजन देव वर्मा ने प्रधानाचार्यों को फटकार लगाई है। यह भी कहा है कि जिन स्कूलों ने नामांकन नहीं किए हैं, उससे यही प्रतीत होता है कि वहां विज्ञान का पठन-पाठन ही नहीं हो रहा है। उन्होंने स्कूलों को 31 जुलाई तक नामांकन कर योजना का उद्देश्य पूरा करने में स्कूलों को सहभागिता के लिए चेताया है। अन्यथा इसके बाद स्कूलों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।