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बूंदाबांदी से पारा गिरा, अन्नदाताओं की बढ़ी धुकधुकी

भीषण गर्मी से अकुलाए लोगों को मौसम के बदलने से कुछ राहत जरूर मिली है। सोमवार रात ग

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:40 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:11 AM (IST)
बूंदाबांदी से पारा गिरा, अन्नदाताओं की बढ़ी धुकधुकी
बूंदाबांदी से पारा गिरा, अन्नदाताओं की बढ़ी धुकधुकी

एटा: भीषण गर्मी से अकुलाए लोगों को मौसम के बदलने से कुछ राहत जरूर मिली है। सोमवार रात गड़गड़ाए बादल और लगभग सभी क्षेत्रों में हल्की बूंदाबांदी से तापमान में खासी गिरावट आई है। उधर खेतों में कटे पड़े लांक के भीगने और खड़ी फसल पर भी बूंदाबांदी से किसानों को नुकसान हुआ है। हालांकि हल्की बारिश से राहत रही, लेकिन बादलों की ओट के मध्य तेज बारिश की संभावनाओं को लेकर किसान चितित हैं।

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सोमवार को जहां तापमान दिन में 41 डिग्री सेल्सियस रहा वहीं रात में मौसम बदल गया। आसमान में गहराए बादलों और हल्की बारिश ने भले ही जनमानस को राहत थी, लेकिन इन दिनों किसानी में जुटे किसानों की बदले मौसम ने धुकधुकी बढ़ा दी। सोमवार रात तथा मंगलवार सुबह भी कहीं रिमझिम तो कुछ स्थानों पर ज्यादा बूंदाबांदी के बाद तापमान भी 31 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तथा न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस रहा। मंगलवार सुबह बूंदाबांदी के साथ ठंडी हवाओं के चलते मौसम खुशनुमा हुआ। दिनभर आसमान में बादल छाए रहे। सूर्य देव भी ओझल बने रहे।

हालांकि आम जनमानस सुकून में आ गया, लेकिन किसानों की नींद ही उड़ गई। इन दिनों गेहूं की फसल की कटाई का कार्य तेजी पर चल रहा है। ऐसे में खेतों में कटा पड़ा लांक बूंदाबांदी से भीग गया। जिन किसानों ने लांक की बंडलिग कर दी थी, उन्हें भी बूंदाबांदी के बाद लांक को खोलकर सूखने के लिए डालना पड़ा। यही नहीं पकी खड़ी फसल पर भी बूंदों के गिरने से नुकसान रहा। जिले में 1.6 लाख हेक्टेयर पर गेहूं की फसल है। जिला कृषि अधिकारी एमपी सिंह ने बताया कि बूंदाबांदी से 2-4 फीसद नुकसान माना जा सकता है। यदि आगे भी तेज बारिश हुई तो ज्यादा नुकसान हो सकता है। भूख-प्यास छोड़ फसल की चिता

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बूंदाबांदी के बाद किसान खेतों पर ही दिखे। भीगे लांक को सुखाने के अलावा खड़ी फसल को काटने के कार्यों को गति देते नजर आए। मौसम से चितित किसान अब इसी उम्मीद में हैं कि कुछ दिन मौसम का साथ मिले तो फसल को सुरक्षित घर तक पहुंचा सकें।


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