150 जर्जर स्कूलों के 'विश्वकर्मा' निशाने पर
बच्चो की सुरक्षा सुनिश्चित करने के फरमान ने परिषदीय स्कूलों की नींव हिला दी हैं। जिससे बच्चों कीजान का खतरा है।
एटा: बच्चो की सुरक्षा सुनिश्चित करने के फरमान ने परिषदीय स्कूलों की नींव हिला दी हैं। जिले में करीब डेढ़ सौ स्कूल ऐसे हैं जो अपनी 20 वर्ष की मियाद से पहले ही चटक और दरक चुके हैं। प्रशासन अब इनके 'विश्वकर्मा' की तलाश करवा रहा है, ताकि घटिया निर्माण के लिए इन्हें जिम्मेदार मानते हुए मरम्मत के लिए इनसे रिकवरी कराई जा सके।
जिले में सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2002 से वर्ष 2012 तक सैकड़ों स्कूलों का निर्माण कराया गया था। अतिरिक्त कक्ष भी बनवाए गए थे। विभागीय व्यवस्था के तहत, निर्माण कार्य की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक और नियुक्त भवन प्रभारी शिक्षक की संयुक्त रूप से थी। ग्राम प्रधानों की दखलंदाजी तो कहीं अधिकारियों के चहेते शिक्षकों ने स्कूलों के निर्माण में जमकर मनमानी की।
अलीगंज के जूनियर हाईस्कूल अल्लापुर विद्यालय भवन 2002 में बना। आज स्थिति यह है कि पूरा भवन दरक चुका है। कई स्कूलों की छत चंद वर्ष में ही चटक गई या दीवारों में दरारें आ गर्ई। फर्श तो ज्यादातर स्कूलों में क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। नियमानुसार, भवन निर्माण की मियाद 20 वर्ष तय निर्धारित है। वर्ष 2012 में खुली फाइल, हो गई बंद
स्कूलों के घटिया निर्माण को लेकर वर्ष 2012 में प्रशासन ने जांच कराई थी। मगर, थोड़े दिनों बाद ही ये फाइल बंद करा दी गई। अब फिर ऐसे स्कूल प्रशासन के निशाने पर हैं। 131 प्राइमरी व 13 जूनियर स्कूलों के जर्जर होने की रिपोर्ट मिली है। सप्ताह भर में सर्वे कर आद्यतन रिपोर्ट मांगी है। सूत्र बताते हैं कि घटिया निर्माण पर संबंधित प्रधानाध्यापक, निर्माण प्रभारी निशाने पर हैं। सेवा में रहने वाले शिक्षकों से रिकवरी होगी, जो सेवानिवृत्त हो गए हैं, उनकी पेंशन में रुकावट आ सकती है। बच तो ग्राम प्रधान भी नहीं पाएंगे।
---
डीएम के निर्देश पर जर्जर स्कूल चिन्हित कराए जा रहे हैं। ऐसे भवनों में बच्चों को न बैठाने के लिए कहा गया है। जांच भी होगी और दोषियों पर कार्रवाई भी।
संजय शुक्ला, बीएसए, एटा