संस्कारों की पाठशाला है आरएसएस का प्रशिक्षण वर्ग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा संस्कारों के निर्माण की अभिनव पद्धति है। शाखा में नियमित आने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक का जीवन अपने आप अनुशासित हो जाता है। वह अपने से अधिक राष्ट्र को महत्त्व देने लगता है। शाखा में विभिन्न तरह के कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयंसेवकों के भीतर कार्यकर्ता का गुण विकसित होता है। मानसिक बौद्धिक और शारीरिक रूप से दक्ष होने का हर प्रशिक्षण संघ की शाखा में मिलता है। इसलिए स्वयंसेवकों को प्रतिदिन शाखा जाना चाहिए। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विशाल ने कहीं।
एटा, जागरण संवाददाता: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा संस्कारों के निर्माण की अभिनव पद्धति है। शाखा में नियमित आने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक का जीवन अपने आप अनुशासित हो जाता है। वह अपने से अधिक राष्ट्र को महत्व देने लगता है। शाखा में विभिन्न तरह के कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयंसेवकों के भीतर कार्यकर्ता का गुण विकसित होता है। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक विशाल ने कहीं।
वे सोमवार को शहर के शांतीनगर स्थित राजकीय बालिका इंटर कालेज में चल रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सात दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग के बौद्धिक सत्र में शामिल हुए स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने स्वयंसेवकों द्वारा किए गए देशहित के कई एतिहासिक कार्यों से लोगों को रूबरू कराया। कहा कि कार्यकर्ताओं को बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक रूप से दक्ष बनाने के लिए यह प्रशिक्षण वर्ग लगाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि शारीरिक प्रशिक्षण में युद्ध, दंड, सूर्य नमस्कार आदि के माध्यम से युवाओं को विषम परिस्थितियों में सामना करने की शिक्षा दी जाती है।
उन्होंने मंगलवार को शिक्षावर्ग के पथसंचलन के साथ समापन में पूर्ण गणवेश में समस्त स्वयंसेवकों से भाग लेने का आह्वान किया। इस दौरान नगर प्रचारक मनीष कुमार, नगर कार्यवाह गिरीश, वर्ग कार्यवाह चंद्रपाल, जिला शारीरिक प्रमुख रामबाबू तथा नगर प्रचार प्रमुख राजीव वर्मा आदि तमाम स्वयंसेवक मौजूद थे।