भूख प्यास से तड़प कर दम तोड़ रहीं गाय
विश्व प्रसिद्ध अतिरंजी खेड़ा के पुरातत्विक महत्व को देखते हुए शासन द्वारा बनवाए गया घेरा अब गौवंश की मौत का अड्डा बनता जा रहा हैं। चारा और पानी के अभाव के साथ साथ जंगली जानवारों से जूझते हुए गौ माताएं अपना दम तोड़ रही है। शनिवार को एतिहासिक विरासत को देखने गए सेलानियों ने इस स्थिति से पुलिस को रूबरू कराया।
एटा: विश्व प्रसिद्ध अतिरंजी खेड़ा के पुरातात्विक महत्व को देखते हुए शासन द्वारा बनवाए गया घेरा अब गोवंश की मौत का अड्डा बनता जा रहा हैं। चारा और पानी के अभाव के साथ साथ जंगली जानवारों से जूझते हुए गाय दम तोड़ रही है। शनिवार को एतिहासिक विरासत को देखने गए सेलानियों ने इस स्थिति से पुलिस को रूबरू कराया।
हुआ यह कि जब से प्रदेश में गौवंश की हत्या पर सरकारी अंकुश लगा है। तब से शहरों व गांवों में इन पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ। भले ही सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिए अस्थाई गौशालाओं को बनाने का निर्देश दिया है, लेकिन पैसे के अभाव में वहां भी स्थिति दयनीय ही है। ऐसे में इन पशुओं से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। अचलपुर, गुराहबाद आदि के किसानों ने इन पशुओं से निजात पाने के लिए जो रास्ता अपनाया है, वह गौवंश के लिए किसी काल से कम नहीं है। कुछ समय पहले शासन प्रशासन द्वारा अतिरंजीखेड़ा का कराया गया घेरा अब लोगों को इस समस्या से निजात का रास्ता बन चुका है। लोग अपने अपने क्षेत्र से ऐसे गौवंशों को घेर कर इस घेरे में ले आते और बंद कर देते है। जहां चारे और पानी के अभाव में ऐसे जीव भूख प्यास से अपना दम तोड़ देते है। वहीं कुछ सियार आदि जंगली जीवों का शिकार हो जाते है। भदुआ के सेलानी प्रवीण कुमार ने बताया कि शनिवार को जब वे खेड़ा देखने गए तो उन्हें कई जगहों पर गौ वंश की हड्डियां दिखाई दी। इसके साथ ही एक मरी गाय भी मौके पर पड़ी मिली। तमाम गाय ऐसी मिली जो जर्जर होने के कारण हिलने में भी असमर्थ थी। उन्होंने इस मामले की सूचना 112 पर दी। मौके पर पहुंचे पुलिस बल ने गायों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आश्वासन दिया, लेकिन नतीजा वही जस का तस रहा। हिदूवादी संगठनों ने प्रशासन से इस समस्या को जल्द से जल्द दूर कराने की मांग की।