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हिदुत्व के प्रखर पुरोधा थे अशोक सिघल

एटा जासं। विश्व हिदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिघल हिदुत्व के प्रखर पुरोधा थे। वे जब तक दुनिया में रहे उन्होंने हिदुओं को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विहिप के कैंप कार्यालय पर अशोक सिघल की चौथी पुण्य तिथि के मौके पर विश्व हिदू परिषद के प्रांत सह समरसता प्रमुख रामअवतार मिश्र ने कहा कि स्व. सिघल ने राम मंदिर आंदोलन को धार दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 10:54 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:05 AM (IST)
हिदुत्व के प्रखर पुरोधा थे अशोक सिघल

एटा, जासं। विश्व हिदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिघल हिदुत्व के प्रखर पुरोधा थे। वे जब तक दुनिया में रहे उन्होंने हिदुओं को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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विहिप के कैंप कार्यालय पर अशोक सिघल की चौथी पुण्य तिथि के मौके पर विश्व हिदू परिषद के प्रांत सह समरसता प्रमुख रामअवतार मिश्र ने कहा कि स्व. सिघल ने राम मंदिर आंदोलन को धार दी। 1964 से सांस बंद होने तक हिदुत्व के लिए लड़ते रहे। विहिप के विभागाध्यक्ष अरविंद चौहान ने कहा कि विश्व हिदू परिषद हिदुओं का सबसे ताकतवर संगठन है। स्व. सिंघल ने देश में ही नहीं विदेशों में भी विश्व हिदू परिषद को खड़ा किया। आज हम दुनिया के कई देशों में हैं। इस सबका श्रेय अशोक सिघल को ही जाता है। वे त्याग की प्रतिमूर्ति और सच्चे राष्ट्र भक्त थे। विहिप के जिलाध्यक्ष विशनपाल सिंह चौहान ने कहा कि स्व. सिघल अगर राम मंदिर आंदोलन को धार नहीं देते तो इतनी जागरूकता समाज में नहीं दिखाई देती। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विहिप के जिलामंत्री रंजीत कुमार उर्फ राजू आर्या ने कहा कि अशोक सिघल ने हिदुओं को जातिवाद से उबारा और संदेश दिया कि हिदू सब एक हैं और हिदुत्व हमारी संस्कृति है। वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को उन्होंने विदेशों में भी प्रचारित किया। इस अवसर पर बजरंग दल नेता देवेंद्र लोधी, प्रशांत सिंह चौहान, शोभित प्रताप तोमर, रवीश गोला, शौर्य प्रताप, ईशू सोलंकी, ओमकार सिंह सहित अन्य बहुत से पदाधिकारी मौजूद रहे।


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