श्रीराम कृपा के बिना शिवत्व की प्राप्ति संभव नहीं: वीरेंद्र
क्षेत्र के बनकटा मिश्र में श्री रैनाथ ब्रह्मा मंदिर परिसर में आयोजित श्री रामचरितमानस कथा का रसपान कराते हुए कथावाचक मानस मर्मज्ञ वीरेंद्र राम त्रिपाठी ने कहा कि जैसे श्री राम कृपा के बिना शिवत्व की प्राप्ति संभव नहीं है वैसे ही शिव की उपासना किए बगैर कोई भी कथा या अनुष्ठान संभव नहीं है।
देवरिया: क्षेत्र के बनकटा मिश्र में श्री रैनाथ ब्रह्मा मंदिर परिसर में आयोजित श्री रामचरितमानस कथा का रसपान कराते हुए कथावाचक मानस मर्मज्ञ वीरेंद्र राम त्रिपाठी ने कहा कि जैसे श्री राम कृपा के बिना शिवत्व की प्राप्ति संभव नहीं है वैसे ही शिव की उपासना किए बगैर कोई भी कथा या अनुष्ठान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि शिव का प्रथम विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री सती से हुआ। सती के लिए भोले शंकर के मन में अगाध प्रेम था, लेकिन सती का राम के प्रति आस्था न होना एक बड़ी बाधा थी। शिव परिवार में रहने के लिए सती के मन मे राम के प्रति आस्था होना अनिवार्य शर्त है। अत्यधिक प्रेम होने के कारण शिव सती को त्यागना नहीं चाहते थे। सती के मन में श्रीराम के प्रति आस्था जगाने के लिए वे जहां भी सत्संग और राम कथा का आयोजन होता उन्हें लेकर जाया करते थे, लेकिन फिर भी सती पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अंत में भगवान शिव उन्हें कुंभज ऋषि के आश्रम में ले गए जहां राम चर्चा के बाद भी सती के मन में राम के प्रति कोई आस्था नहीं जगी। वहां भी वह पूरी तरह से विचलित रही। फिर शिव परिवार को सती रूपी व्याधि से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्रीराम ने इसका नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। इस दौरान मुख्य रूप से पं.घनश्याम मिश्र, कृष्ण कुमार मिश्र, कृष्ण मुरारी मिश्र, चंद्र किशोर तिवारी, दिग्विजय मिश्र, कामेश वर्मा, सुदामा प्रसाद, लखीचंद प्रसाद आदि मौजूद रहे।