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बाल यौन शोषण में न्याय दिलाने का रास्ता नहीं होता आसान

देवरिया : यूं तो बाल यौन शोषण के मामले में कानून कठोर से कठोरतम बना दिया गया है, लेकिन

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 11:08 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 11:08 PM (IST)
बाल यौन शोषण में न्याय दिलाने का रास्ता नहीं होता आसान
बाल यौन शोषण में न्याय दिलाने का रास्ता नहीं होता आसान

देवरिया : यूं तो बाल यौन शोषण के मामले में कानून कठोर से कठोरतम बना दिया गया है, लेकिन बाल यौन शोषण आज भी पहले की अपेक्षा कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। ऐसे मामले सामने आने के बाद विश्वास का जहां संकट पैदा होता है, वहीं इन मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने की राह बड़ी कठिन होती है। कभी-कभी उनको न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं को पसीना भी खूब बहाना पड़ता है। पीड़िताओं के बयान में दिक्कत होने के चलते आरोपितों को लाभ भी मिलने लगता है।

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पहले की अपेक्षा 2016 में बाल यौन शोषण के मामलों में छोटी-छोटी घटनाओं में भी कठोरतम सजा का प्राविधान कर दिया गया। 12 साल के ऊपर की पीड़िताओं का बयान तो अदालत में लिखा जा सकता है, लेकिन कठिनाई वहां उत्पन्न हो जाती हैं, जब पीड़िताओं की आयु पांच साल से कम होती है। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता फैजान आलम का कहना है कि सलेमपुर कोतवाली क्षेत्र के एक कस्बा में डेढ़ साल की बालिका को आरोपित उसके मां-बाप की गोद से चाकलेट देने के बहाने लेकर गया, लेकिन परिजनों के आंखों से ओझल होते ही आरोपित के सिर पर हवस का नशा चढ़ गया। मासूम के साथ हैवानियत कर डाली। मासूम की जान खतरे में पड़ गई और कई दिनों तक वह जिला चिकित्सालय में जीवन और मौत के बीच जूझती रही। डाक्टरों ने उसका मेडिकल परीक्षण तो कर दिया, लेकिन जब उसके कलम बंद बयान की बारी आई तो मजिस्ट्रेट भी सोचने को मजबूर हो गए। कानून की बारीकियों के आगे पीड़िता का कलम बंद बयान न होना आरोपित के लिए पौ बारह था, तो कानून के रखवालों को कठिन कार्य हो गया। कई दिनों तक गहन मंथन के बाद आखिरकार पीड़िता की उम्र को देखते हुए कलम बंद बयान को टालना पड़ा। अधिवक्ता अनूप कुमार पांडेय ने बताया कि भटनी थाना क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली कक्षा एक की छात्रा के साथ उसी गांव के एक सिरफिरे ने बेर खिलाने नदी के किनारे ले गया और मुंह काला कर लिया। पीड़िता की शारीरिक स्थिति को देखते हुए अध्यापकों ने उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां हालत गंभीर होने पर डाक्टर ने जिला अस्पताल भेज दिया। घटना के चार साल बीत जाने के बाद भी आज भी पीड़िता बयान देने की स्थिति में नहीं है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। पीड़िता की उम्र को देखते हुए तारीख पर तारीख पड़ रही है।


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