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इस पारिजात के नीचे मत्था टेक चुकीं हैं कई विभूतियां

शायद इसे बहुत कम लोग जानते हैं कि देव भूमि देवरिया में भी तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना अनमोल देववृक्ष पारिजात आज भी मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि इस पारिजात के सानिध्य में जाते ही मनुष्य के जीवन की सारी बाधाएं स्वत: समाप्त हो जाती है

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:54 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:54 PM (IST)
इस पारिजात के नीचे मत्था टेक चुकीं हैं कई विभूतियां
इस पारिजात के नीचे मत्था टेक चुकीं हैं कई विभूतियां

देवरिया : शायद इसे बहुत कम लोग जानते हैं कि देव भूमि देवरिया में भी तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना अनमोल देववृक्ष पारिजात आज भी मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि इस पारिजात के सानिध्य में जाते ही मनुष्य के जीवन की सारी बाधाएं स्वत: समाप्त हो जाती है। जनपद के देवरहा बाबा आश्रम मईल में इसे कोई और नहीं स्वयं देवरहा बाबा ने लगाया था। इस देववृक्ष के नीचे कई पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, राजनेता व संत जगत की जानी मानी हस्तियां यहां मत्था टेक चुकी हैं। आज भी इस पारिजात के दर्शन को दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके छूने मात्र से शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है। पुराणों में इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से बताई गई है। इसकी पत्तियों व छाल का प्रयोग, कई रोगों में चमत्कारी लाभ बताए गए हैं। देवभूमि देवरिया के मईल स्थित देवरहा बाबा आश्रम में देवरहा बाबा का लगाया देववृक्ष पारिजात आज भी मौजूद है। देवरहा बाबा ने इसे डेढ़ सौ साल पहले लगाया था। आजादी के पूर्व इसके नीचे जार्ज पंचम के अलावा कई अंग्रेज अधिकारी मत्था टेक मन्नतें मांग चुके हैं। यूं तो देवरहा बाबा के मईल में सरयू नदी के किनारे जंगल झाड़ियों के बीच वीराने में रहने की पुख्ता जानकारी किसी को नहीं कि कि वहां वह कब से साधना करते थे, लेकिन ऐसी मान्यता है कि वह नौ सौ वर्ष तक जीवित रहे। मईल को अपनी तपोभूमि बनाया और यहां उन्होंने कठोर तप किया। वह सच्चे साधक व योगी थे। देवरहा बाबा योग साधना से नदी के अंदर आधा घंटा तक बिना सांस लिए रह जाते थे। आश्रम में जहां वह तप करते थे वहां के बबूल में कांटे नहीं उगते थे। मचान पर वह खाली हाथ बैठते थे और भक्तों को प्रसाद देते समय उनके हाथ में मेवा मिश्री आ जाता था। इसके अलावा वह जो कह देते थे वह सत्य हो जाता था। इसके कई प्रमाण हैं। देवरहा बाबा के जन्म के बारे में कोई प्रमाण नहीं मिलता है जब कि वह 19 जून 1990 योगिनी एकादशी के दिन बह्मलीन हुए थे। देश ही नहीं विदेशों में भी देवरहा बाबा के शिष्य हैं। उन्हें पौधों और औषधियों के बारे में बहुत जानकारी थी। औषधीय पौधों को लगाने पर वह जोर देते थे। आश्रम परिसर में ही उन्होंने देववृक्ष पारिजात लगाया। इसके बारे में काफी दिनों बाद जब वह बड़ा हो गया तो अपने अनन्य शिष्य श्यामसुंदर दास को बताए।

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ये विभूतियां पारिजात से ले चुकीं हैं आशीर्वाद देवरहा बाबा के पास मईल आश्रम में जो भी आता उसे आशीर्वाद देने के बाद वह उसे पारिजात के नीचे ले जाते और उसके महत्व के बारे बताते हुए वहां मत्था टेकने के लिए कहते। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, डा.राजेंद्र प्रसाद, राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप ¨सह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी, चौधरी चरण ¨सह के अलावा बूटा ¨सह, लालकृष्ण आडवाणी, मुलायम ¨सह यादव, अशोक ¨सघल, जगन्नाथ मिश्र, ¨वदेश्वरी दुबे, शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, करपात्री जी महराज समेत कई विभूतियां यहां मत्था टेक चुकीं हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मन्नतें पूरी होती हैं और पारिजात मनुष्य के सारे दुखों व बाधाओं का समूल नाश कर देता है। हरिवंश पुराण में भी इस देववृक्ष का वर्णन मिलता है। इसके छूने मात्र से शरीर की सारी थकान मिट जाती है।

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तकरीबन डेढ़ सौ साल पूर्व देवरहा बाबा ने इस देववृक्ष पारिजात को लगाया था। यहां देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा जानी-मानी हस्तियां मत्था टेक कर आशीर्वाद ले चुकी हैं। आश्रम परिसर में ही बाबा जिस मचान पर बैठ कर तप करते थे अपने सामने ही कुछ दूरी पर इसे लगाया। यह आज भी मौजूद है। देश के कोने-कोने से भक्तजन जो जानते हैं पारिजात का दर्शन करते आते हैं।

-श्याम सुंदर दास, शिष्य देवरहा बाबा, आश्रम मईल, देवरिया

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