लावारिस शवों के वारिसों को ढूंढने में छूट गए पसीने
जिले में बरामद अज्ञात शवों की शिनाख्त में पुलिस की घटती दिलचस्पी से लोग अपने शवों को कंधा तक नहीं दे पाए। डीएनए जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद भी अज्ञात शवों की शिनाख्त में पुलिस फिसड्डी साबित हुई। बीते चौदह माह में पुलिस ने करीब सवा सौ से अधिक अज्ञात शवों को विभिन्न जगहों से बरामद किया।
देवरिया : जिले में बरामद अज्ञात शवों की शिनाख्त में पुलिस की घटती दिलचस्पी से लोग अपने शवों को कंधा तक नहीं दे पाए। डीएनए जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद भी अज्ञात शवों की शिनाख्त में पुलिस फिसड्डी साबित हुई। बीते चौदह माह में पुलिस ने करीब सवा सौ से अधिक अज्ञात शवों को विभिन्न जगहों से बरामद किया। इनके वारिस ढूंढने में पुलिस के पसीने छूट गए। हालांकि थानों की एक कोठरी लावारिस शवों के शिनाख्त के लिए रखी गई है, जिसमें पोस्टर, कपड़े और मौके से बरामद अन्य सामान रखा है।
सबसे अधिक लावारिस शवों का पोस्टमार्टम जीआरपी की ओर से कराया गया है। बीते चौदह माह में 125 अज्ञात शवों का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें तीस फीसद शव की शिनाख्त हो पाई। हत्या को छोड़कर एक वर्ष के अंदर पुलिस सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर फाइल को बंद कर देती है। बीते मई व दिसंबर माह में सबसे अधिक लावारिस शव बरामद हुए।
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तीन दिन बाद होता है पोस्टमार्टम
शव बरामद होने के बाद पुलिस 72 घंटे तक उसे मोर्चरी में रखती है। उसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराया जाता है। मौके पर मिले साक्ष्य कपड़े, जूते सहित अन्य सामान एकत्र कर पुलिस शिनाख्त की कोशिश करती है। इसके साथ ही डीएनए जांच से शवों की पहचान होती है। इश्तेहार के लिए शासन से धन भी अवमुक्त होता है। दूसरे जिलों से भी पुलिस मदद लेती है।
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अज्ञात शवों की शिनाख्त के लिए मीटिग में थानेदारों से कहा जाता है। पुलिस की तरफ से हर संभव कोशिश की जाती है। गैरजनपद की पुलिस से भी मदद ली जाती है। शिष्यपाल, एएसपी