यूनियन जैक उतारने में शहीद हुए थे शिवराज
मौका था 14 अगस्त 1942 का जब देवरिया कचहरी के इजलास पर लगे ब्रिटिश सरकार के जैक को उतारने के लिए रमाशंकर विद्यार्थी चढ़े तो उनका कद छोटा पड़ गया। यह देख कर शिवराज उर्फ सोना सोनार ने अपना कंधा लगा दिया।
मनोज तिवारी मधुर, देवरिया: मौका था 14 अगस्त 1942 का जब देवरिया कचहरी के इजलास पर लगे ब्रिटिश सरकार के जैक को उतारने के लिए रमाशंकर विद्यार्थी चढ़े तो उनका कद छोटा पड़ गया। यह देख कर शिवराज उर्फ सोना सोनार ने अपना कंधा लगा दिया। जैक को गिरता देख अंग्रेज सैनिकों ने गोलियां बरसा दी। दोनों जवानों का सीना गोलियों से छलनी हो गया।
गांधी जी ने जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया तो इसकी गूंज रामपुर कारखाना क्षेत्र के ग्राम सभा सहोदर पट्टी तक जा पहुंची। शिवराज देश की आजादी के स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। 24 जनवरी 1908 को पैदा हुए शिवराज की शिक्षा आठवीं तक हुई थी। वह बचपन से ही क्रांतिकारी विचार धारा के थे। इनके पिता का नाम धज्जु स्वर्णकार तथा माता का नाम गांदी था। चार भाइयों में यह दूसरे नंबर के थे। 1942 में शिवराज सोनार गांधी जी अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में कूद गए और हिस्सा लिया। 14 अगस्त को गांव से पैदल चलकर तरकुलवा थाना के वसंतपुर धूस पहुंचे, जहां से अध्यापकों तथा विद्यार्थियों का एक समूह देवरिया के लिए कूच किया उसमें नौतन हथियागढ़ के रामचंद्र विद्यार्थी भी शामिल थे। लोग पैदल चल कर शहर के लच्छीराम पोखरा पहुंचे। यहां से आजादी के दीवाने गोरों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कचहरी पहुंच गए। यूनियन जैक उतारने के लिए रामचंद्र जिद पर अड़ गए। सभी लोगों ने पिरामिड बना कर रामचंद्र को सबसे ऊपर चढ़ाया, फिर भी जैक दूर था। यह देख फौरन शिवराज ने रामचंद्र को अपने कंधे पर चढ़ा कर अंग्रेजों का यूनियन जैक उतार कर उस पर तिरंगा फहराया। यह नजारा देख अंग्रेज अधिकारी उमराव ¨सह ने तत्काल गोली चला दी। गोली से भारत माता के सपूत शहीद हो गए।
शहीदों की ¨चताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।