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रस्सी से बंधे सीट, तार से बजता हार्न

यात्री सुविधाओं के नाम पर परिवहन निगम की बसों में यात्रियों को छला जा रहा है। बसों में यात्रियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। न तो बसों की स्थिति ठीक है और नहीं सीट अच्छी हालत में हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 11:26 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 11:26 PM (IST)
रस्सी से बंधे सीट, तार से बजता हार्न
रस्सी से बंधे सीट, तार से बजता हार्न

देवरिया : यात्री सुविधाओं के नाम पर परिवहन निगम की बसों में यात्रियों को छला जा रहा है। बसों में यात्रियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। न तो बसों की स्थिति ठीक है और नहीं सीट अच्छी हालत में हैं। पूरा किराया देने के बावजूद हर रोज करीब पांच हजार यात्री खटारा बसों की खस्ताहाल सीट पर यात्रा करने को विवश हैं।

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दैनिक जागरण टीम ने जर्जर बसों में मुश्किल सफर अभियान के तहत शनिवार को रोडवेज परिसर में खड़ी करीब आधा दर्जन बसों में यात्री सुविधाओं के स्थिति की पड़ताल की तो स्थिति विभागीय दावे के विपरीत दिखी। साधारण से लेकर एक्सप्रेस बसों की हालत एक जैसी थी। प्रतिदिन निगम की बसों से करीब पांच हजार यात्री सफर करते हैं। इनसे निगम को लगभग दो लाख रुपये की आय होती है। लाखों रुपये कमाने के बावजूद विभाग यात्री सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। व्यवस्थागत खामियां यात्रियों पर भारी पड़ रही है। रुद्रपुर जाने वाली बस में की सीट टूटी हुई थी। कुछ सीट से रेक्सीन गायब थी तो कई सीट रस्सी के सहारे बांधे गए थे। बरहज जाने वाली बस में प्राथमिक चिकित्सा बाक्स टूटा हुआ था। उसमें पान मसाला का खोखा व अन्य प्लास्टिक रखी गई थी। हार्न बजाने वाला स्वीच न होने से हार्न बजाने के लिए स्टेय¨रग के पास तार बंधा हुआ था। गोरखपुर जाने के लिए खड़ी बस में प्राथमिक चिकित्सा बाक्स तो था, लेकिन उसमें दवाएं नहीं थी। स्टेय¨रग के पास तारों का मकड़जाल था। और तो और प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री के गांव जाने वाली बस की हालत भी कुछ इससे अलग नहीं थी। चालक व परिचालक भी दु‌र्व्यवस्था से नाराज दिखे। एक चालक का कहना था कि दवाएं हम खरीदे तब न बाक्स में रखी जाएं। कंपनी से ही खाली बाक्स की आपूर्ति हुई है। कभी दवाएं आती भी है तो एक दो महीने में एक्सपायर हो जाती हैं।

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एक्सप्रेस बसों की हालत भी साधारण बसों जैसी है। अतिरिक्त किराया वसूलने के बाद भी विभाग सुविधाओं पर ध्यान नहीं देता है। न तो प्राथमिक चिकित्सा का इंतजाम है और न ही सुरक्षा का कोई इंतजाम। बसों में लगे अग्निशमन यंत्र भी महज शो-पीस हैं। खटारा बसों के चलते समय बाडी व कांच की आवाज से सिर दर्द करने लगता है। विभाग हम लोगों से किराया वसूलता है तो उसे हमारी सुविधाओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

-राकेश तिवारी, यात्री

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बसों में हम लोगों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है। बैठने के लिए ठीकठाक सीट का भी इंतजाम नहीं है। कुछ बसों में सीट पर फोम नहीं रहता तो कई बसों में टूटी हुई सीट पर बैठना पड़ता है। साधारण बसों की तो बात ही छोड़िए एसी बसों की हालत भी कुछ इससे जुदा नहीं हैं। न टीवी चलती है और न ही पत्रिका। पीने का पानी भी मात्र गला तर करने भर का मिलता है। जबकि यात्री का आधा बोतल पानी देने का नियम है।

-मनोज जायसवाल, यात्री

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