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परदेस से कड़वी यादें लेकर लौटे प्रवासी

देवरिया में परदेस से आए प्रवासियों की यादें काफी कष्टकर हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:08 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 08:08 AM (IST)
परदेस से कड़वी यादें लेकर लौटे प्रवासी

देवरिया: कोरोना के संक्रमण का कहर और लॉक डाउन की बंदिशों के 63 दिन बीत गए। विभिन्न प्रदेशों से आए प्रवासियों के चेहरे पर अब भी मायूसी है, लेकिन गांव में पहुंचने का सुकून है। जेहन में परदेस की कड़वी याद अब भी जाता है। किसी को मकान मालिक ने परेशान किया तो किसी को कई दिन भूखे रहना पड़ा। घर छोड़ने का दबाव बनाते रहे मकान मालिक

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यूपी-बिहार सीमा पर स्थित सरौरा गांव के विजय मद्धेशिया सांगली, महाराष्ट्र में फल बेचते थे। कहते हैं, संक्रमण फैल रहा था। मकान मालिक घर खाली करने के लिए दबाव बनाने लगा। राशन खत्म हो गया, न तो पड़ोसी ने मदद की और न मकान मालिक ने। मुश्किल से ट्रेन मिली तो घर आए। नासिक से ट्रक पर सवार होकर आया

भलुवनी के श्रीराम नासिक के माड़ेगांव में राजगीर का कार्य करते थे। कुछ पैसे थे, ट्रक पर सवार होकर बिना खाये चल दिए। रास्ते में एक जगह पूड़ी-सब्जी मिली। उसके बाद भूखे रहे। कहते हैं काफी परेशानी हुई अब परदेस नहीं जाऊंगा। मजदूरी लेकर फरार हो गया ठीकेदार

करौंदी के चंदन कुमार हरियाणा में मजदूरी करते थे। ठीकेदार मजदूरी के रुपये लेकर भाग गया। वहां से 70 किमी पैदल चले, रास्ते में ट्रक मिला तो फैजाबाद व गोरखपुर पहुंचे। फिर पैदल गांव आए। पड़ोसी भी मदद नहीं किए। गांव में राहत महसूस कर रहे हैं। बंगलुरू में गेस्ट हाउस में पैसे की होती रही डिमांड

छात्र कृष्ण कुमार पांडेय कर्नाटक के मार शहर में आइटीआइ के पास रहते हैं। मार्केटिग मैनेजर की ट्रेनिग के लिए बंगलुरू गए थे। 50 दिन तक फंसे रहे। गेस्ट हाऊस में लोग सिर्फ पैसे की डिमांड करते थे। घर आने पर लग रहा अब सब कुछ मिल गया है। महाराष्ट्र से बाइक से आए गांव

कपरवार निवासी उमाशंकर सिंह बबलू पनवेल मुंबई में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर हैं। वहां से बाइक से गांव आए हैं। बताते हैं लॉक डाउन में कार्य बंद होने से दो माह तक मुंबई में रहे। पैसे सारे खर्च हो गए। नौकरी भी छिन गई है। गुलजार हो गई गांव की बगिया

गांव के बागीचे गुलजार है। गौरीबाजार के पथरहट गांव में बरगद के पेड़ के नीचे लोगों की दुपहरिया बीत रही है। लॉकडाउन की दुश्वारियों पर चर्चा हो रही है। गांव में दिल्ली, हरियाणा, मुंबई से लोग आए हैं। एक तरफ पीड़ा बयां हो रही है तो दूसरी तरफ ठहाके भी लग रहे हैं।


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