सुदामा की गरीबी देख रो पड़े भगवान श्रीकृष्ण
देवरिया : सोंदा के समीप एक मैरेज हाल में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में मंगलवार क
देवरिया : सोंदा के समीप एक मैरेज हाल में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में मंगलवार को प्रवचन करती हुई वर्षा नागर ने सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा विस्तार से सुनाई। उन्होंने कहा कि सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचते हैं, भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा की गरीबी और दीन-दशा को देखकर द्रवित हो उठते हैं और उनकी आंखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ती है।
उन्होंने कहा कि विप्र सुदामा बसत है सदा अपने धाम, भीख मांग भोजन करे जिए जपत हरि नाम। ताकि धरनी पतिव्रता गई वेद की रीति, सजल सुशील सुबुद्धि अति पति सेवा सा प्रीति। अर्थात जब सुदामा दीन-दशा में श्रीकृष्ण के पास पहुंचते हैं तो श्रीकृष्ण दु:खी और व्याकुल हो जाते हैं। एक तरफ जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र का पांव पखारते हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बहती जाती है। हाल यह था कि उनकी आंखों से बह रहे आंसुओं की धारा से ही सुदामा जी के पैर धुलने लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी पत्नी द्वारा एक मुट्ठी चावल संकोच वश सुदामा जी भेंट नहीं कर पा रहे थे, श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए करते हैं कि चोरी में पहले से ही निपुण हो। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित सात दिनों में गंगा जी के तट पर बैठकर अपने सभी वस्त्र, आभूषण, राज-पाठ, त्याग कर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। इस प्रकार राजा परीक्षित को मोक्ष की प्रप्ति हुई। कथा में महादीप प्रज्जवलित किया गया और आरती की गई। संयोजक पूर्व जिपंस मोहन गुप्त ने बताया कि महाप्रसाद और भंडारे का आयोजन 13 जून को सायं सात बजे से किया गया है।
इस दौरान मुख्य रूप से मुख्य यजमान रामसरीखा ¨सह, फूलपति देवी, मोहन गुप्ता, मंजू गुप्ता, सतीश ¨सह, श्रद्धा ¨सह, अजय ¨सह, चंदा ¨सह, प्रवीण शास्त्री पुरोहित गोरखनाथ मंदिर, भवेश वाजपेयी, सुरेंद्र श्रीवास्तव, रामबहादुर ¨सह, धनंजय मिश्रा, उमेश गुप्ता, भगवती ¨सह, अनन्या ¨सह, सविता वाजपेयी, उदय प्रताप यादव आदि मौजूद रहे।