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जनपद में टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या

जनपद में टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या से विभाग के माथे पर चिता की लकीरें हैं। तमाम जागरूकता के बाद भी मरीजों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना विभाग के लिए काफी मुश्किल भरा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 11:19 PM (IST)
जनपद में टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या
जनपद में टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या

देवरिया : जनपद में टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या से विभाग के माथे पर चिता की लकीरें हैं। तमाम जागरूकता के बाद भी मरीजों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना विभाग के लिए काफी मुश्किल भरा है।

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तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो साल दर साल मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सच्चाई तो यह है कि जनपद में कितने टीबी के मरीज हैं इसका वास्तविक डाटा भी विभाग के पास नहीं हैं। इसका प्रमुख कारण है जो मरीज प्राइवेट में इलाज करा रहे हैं उनका वास्तविक आंकड़ा विभाग के पास उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। प्राइवेट चिकित्सकों की सलाह पर कुछ दिन दवा खाकर मरीज छोड़ दे रहे हैं और उसे फिर से टीबी हो जा रहा है। उधर जनपद में लगातार एमडीआर रोगियों की संख्या का बढ़ना खतरे की घंटी बजा रहा है।

टीबी रोगियों की पहचान व जांच कराने से लेकर दवा उपलब्ध कराने के लिए सभी ब्लाक में 17 एसटीएस यानी सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर व 6 एसटीएलएस अर्थात् सीनियर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर की तैनाती की गई है। ये गांवों में मरीजों को खोजकर उनकी सीबी-नेट मशीन से बलगम की जांच कराने से लेकर दवा उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। मरीज के चिह्नित होने के बाद उसके खाते में पांच सौ रुपये प्रतिमाह विभाग भेज रहा है। इस धनराशि को वह अपनी सेहत सुधारने में खर्च कर रहे हैं। तीन समन्वयकों की भी तैनाती की गई हैं। टीबी के सामान्य मरीजों की दवा 6 से 8 माह, एमडीआर के मरीज की दवा 24 से 27 माह तक दवा चलता है। एमडीआर टीबी सेंटर जिला अस्पताल में खुल चुका है। जिसमें चार बेड है। मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज हो रहा है।

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वर्ष मरीजों की संख्या

2017 1777

2018 2822

2019 2016 (अब तक)

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जनपद में टीबी मरीजों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। मरीज के चिह्नित होने पर उसके खाते में प्रति माह पोषण भत्ता पांच सौ रुपये भेजा जा रहा है। कुछ प्राइवेट चिकित्सक सहयोग कर रहे हैं लेकिन प्राइवेट डाक्टरों से जैसा सहयोग मिलना चाहिए वैसा नहीं मिला है।

डा. बीरेन्द्र झा, जिला क्षय रोग अधिकारी, देवरिया।


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