देवरिया के श्रीतिरुपति बालाजी मंदिर में गूंजा वेंकट रमणा गोविदा..
देवरिया के बालाजी मंदिर में धूमधाम से मनाया गया अन्नकूट महोत्सव भजन कीर्तन व पूजन से भक्तिमय हुआ माहौल
देवरिया: शहर के कसया रोड स्थित श्रीतिरुपति बालाजी मंदिर में रविवार को श्रीगोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर में सेवा-पूजा तथा नित्योत्सव,पाक्षिकोत्सव, मासिकोत्सव, अयनोत्सव, वार्षिकोत्सव आदि मनाया गया।
भगवान श्रीवेंकटेश्वर के पावन सानिध्य में ही कलात्मक ढंग से श्रीगोवर्धन पर्वत बनाए गए जिस पर मंदिर के बालकृष्ण भगवान को विराजमान किया गया। बायीं तरफ श्रीभगवान श्रीकृष्ण द्वारा कोरोना वायरस का मर्दन करते हुए रंगोली बनाई गई। इसे आरबीटी विद्यालय के अध्यापक एवं छात्रों ने बनाया था। पारंपरिक ढंग से भगवान श्रीकृष्ण की सवारी गोवर्धन पूजन के लिए निकली। जिसके पीछे सैकड़ों की संख्या में नाचते गाते हुए भक्तजन चल रहे थे। डफ़, नगाड़े, मंगल वाद्य बज रहे थे। वैदिक विधि से गाय पूजन के बाद गोवर्धन पूजन जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य ने किया। छप्पन भोग लगाने के बाद महाआरती हुई। स्वामी राजनारायणाचार्य ने कहा कि मनुष्यों को जो कुछ भी मिला है, वह उसके पूर्व जन्म के शुभ कर्मों का ही परिणाम है। गोवर्धन पर्वत की पूजा भगवान श्रीकृष्ण ने कराई थी। यहां मुख्य रूप से मुक्तिनाथ त्रिपाठी,अशोक कुमार अग्रवाल,देवदत्त केजरीवाल,आनन्द कुमार अग्रवाल, संजय जाखोदिया, रमेश बरनवाल, सुशील बरनवाल, सतीश बरनवाल, हरिहर प्रसाद बरनवाल, शेषनाथ मिश्र, सौरभ श्रीवास्तव, डा.अभय द्विवेदी, प्रद्युम्न तिवारी, चन्द्रशेखर मिश्र आदि मौजूद रहे। लक्ष्मण ने काटी सूर्पनखा की नाक
भटनी क्षेत्र के जिगिना मिश्र गांव में रविवार की रात रामलीला का मंचन किया गया। एक दृश्य में श्रीराम, सीता व लक्ष्मण के साथ चित्रकूट से अत्रि ऋषि के आश्रम के लिए प्रस्थान करते हैं। ऋषि अत्रि के आश्रम में पहुंचते हैं, ऋषि अत्रि की पत्नी सती अनुसूइया माता सीता को पतिव्रत धर्म पालन का उपदेश देती हैं। श्रीराम आगे बढ़ते हैं और कबंध राक्षस को शाप से मुक्ति दिलाते हैं। इसके बाद पंचवटी चले जाते हैं। जहां रावण की बहन सूर्पनखा श्रीराम से विवाह का प्रस्ताव रखती तो वह उसे लक्ष्मण के पास भेज देते हैं। इससे नाराज सूर्पनखा माता सीता पर हमला कर देती है यह देखकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट ली। इसके बाद खर दूषण वध होता है। सूर्पनखा रावण के पास जाती है और सारा वृतांत सुनाती है। इसके बाद मारीच का वध होता है। कलाकारों में पं. दिवाकर मिश्र, मुक्तिनाथ मिश्र, एडवोकेट कृष्णमोहन द्विवेदी, अश्वनी मिश्र, सुरेंद्र मिश्र मुन्ना, विजयी मिश्र, अलख निरंजन मिश्र, सुनित मिश्र, आशीष मिश्र, धीरू मिश्र, नमन मिश्र आदि की भूमिका सराही गई।