आइएमए चिकित्सकों ने किया एक्ट का विरोध
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बैठक संगठन के कार्यालय पर गुरुवार को हुई। इसमें क्लिनिकल स्टेब्लेसमेंट एक्ट पर चर्चा की गई। एक्ट के विरोध में चिकित्सकों ने पूरे दिन काली पट्टी बांध कर मरीजों को देखा और एक्ट में संशोधन की मांग की।
देवरिया : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बैठक संगठन के कार्यालय पर गुरुवार को हुई। इसमें क्लिनिकल स्टेब्लेसमेंट एक्ट पर चर्चा की गई। एक्ट के विरोध में चिकित्सकों ने पूरे दिन काली पट्टी बांध कर मरीजों को देखा और एक्ट में संशोधन की मांग की।
संबोधित करते हुए अध्यक्ष रणधीर ¨सह ने कहा कि यह बिल यूरोपीय देशों में चल रहे अस्पतालों के अनुसार बनाया गया है। कुछ महानगरों को छोड़ दिया जाए तो इसे ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं किया जा सकता। सरकारी चिकित्सालयों की हालत खराब है। वहां न तो चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जा रहा है और न ही पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को सरकार दूर कर पा रही है। प्राइवेट अस्पताल प्रदेश और देश की चिकित्सकीय व्यवस्था को संभाले हैं। ऐसे में अगर यह एक्ट लागू होता है तो देश के 80 फीसद प्राइवेट अस्पताल बंद हो जाएंगे। सचिव उमाकांत पांडेय ने कहा कि यह एक्ट देश के मरीजों को परेशान करने वाला है। ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल उस मानक को पूरा नहीं कर पाएंगे और न ही उन्हें चलाने की छूट होगी। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ेगी। इस एक्ट में संशोधन किया जाए।
यहां मुख्य रूप से पूर्व प्रांतीय उपाध्यक्ष डा.विपिन बिहारी शुक्ल, पूर्व अध्यक्ष डा.जीएन पांडेय, डा.एचसी अरोरा, डा.वरेश नागरथ, डा.शोभा शुक्ला, डा.शशि प्रभा गुप्ता, डा.एसपी गुप्ता, पूर्व सचिव डा.सौरभ बरनवाल, डा.संजीव अग्रवाल, डा.समीर यादव, डा.अवधेश ¨सह, डा.संदीप जायसवाल, डा.प्राची जायसवाल आदि मौजूद रहे।