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हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना: अफसरों पर टिकी किसानों की नजर

हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना को लेकर किसानों की नजर अब जिले के अफसरों पर टिकी है। दोनों खेमा के किसान परियोजना को लेकर सशंकित हैं। इसकी वजह अफसरों की तरफ से अपना रूख स्पष्ट नहीं करना बताया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 11:38 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 11:38 PM (IST)
हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना: अफसरों पर टिकी किसानों की नजर

देवरिया: हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना को लेकर किसानों की नजर अब जिले के अफसरों पर टिकी है। दोनों खेमा के किसान परियोजना को लेकर सशंकित हैं। इसकी वजह अफसरों की तरफ से अपना रूख स्पष्ट नहीं करना बताया जा रहा है।

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पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव की ड्रीम प्रोजेक्ट हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना को लेकर प्रशासन की तरफ से एक बार फिर पहल शुरू की गई है। उप भूमि अध्याप्ति अधिकारी ओमप्रकाश की अगुवाई में रेलवे के अफसरों ने किसानों से प्रतिकर को लेकर दो बार वार्ता की है। किसानों का एक खेमा नए कानून के मुताबिक वर्तमान सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मांग रहा है, जबकि भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों का दूसरा खेमा भूमि नहीं देने की मांग दोहरा रहा है। परियोजना के भविष्य को लेकर न तो प्रशासन ही अपना रूख स्पष्ट कर सका न ही किसान। मुआवजा की मांग करने वाले किसानों के एक खेमे का कहना है कि यदि जिला प्रशासन वर्तमान सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा देने की सहमति देता है तो भूमि देने पर सहमत होंगे। किसानों ने भटनी-भाटपाररानी मार्ग पर तेनुआ गांव व भटनी-¨भगारी बाजार मार्ग पर मायापुर-अमवा के बीच उपरगामी सेतु का निर्माण कराने, प्रभावित 14 गांवों में आने-जाने के लिए अंडरपास का निर्माण कराने, प्रभावित किसानों के प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को योग्यतानुसार नौकरी देने, पिपरा विट्ठल के जंगली बाबा स्थान व चखनी घाट पुल के पास हाल्ट स्टेशन का निर्माण कराने की मांग की है। मुआवजा की मांग करने वाले किसानों से जिला प्रशासन की कई चक्र की वार्ता हो चुकी है। वहीं भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति भटनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. रामजी द्विवेदी व वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रिवेणी यादव की अगुवाई में किसान परियोजना का विरोध कर रहे हैं। किसान भूमि नहीं देने की अपनी पुरानी मांग पर अड़े हैं। किसानों ने परियोजना निरस्त कराने के लिए हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसमें जल्द सुनवाई हो सकती है। फिलहाल दोनों खेमे की नजर जिला प्रशासन पर टिकी है। जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई संतोषजनक जवाब किसानों को नहीं मिला है।


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