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देवभूमि के छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि पर मंगलवार को निराजल व्रत रखी माताओं ने अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर पुत्रों के दीर्घायु की कामना की। जनपद के प्रमुख तालाबों, पोखरों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने से उत्सव सरीखा माहौल दिखा। बच्चों ने भी रंग-बिरंगे नए कपड़ों में छठ पर्व के इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 11:26 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 11:26 PM (IST)
देवभूमि के छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

देवरिया : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि पर मंगलवार को निराजल व्रत रखी माताओं ने अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर पुत्रों के दीर्घायु की कामना की। जनपद के प्रमुख तालाबों, पोखरों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने से उत्सव सरीखा माहौल दिखा। बच्चों ने भी रंग-बिरंगे नए कपड़ों में छठ पर्व के इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। दिन भर निराजल व्रत रहने के बाद महिलाएं सायंकाल अपने परिवार के लोगों साथ शहर के हनुमान मंदिर, लंगड़ी देवरिया स्थित हथीकुंड पोखरा, परमार्थी पोखरा, सोमनाथ मंदिर स्थित पोखरा, देवरही मंदिर स्थित पोखरा, गायत्री मंदिर स्थित लच्छीराम पोखरा तथा साकेत नगर स्थित बरमहिया पोखरे पर पहुंची। यहां सर्वप्रथम एक स्थान पर बैठ कर पूजा-अर्चन किया और चौक बनाकर कलश स्थापित किया। फिर जल में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देते हुए मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना की। सूर्यास्त के बाद वहां से वापस आकर व्रत रहने वाली माताओं ने कोसी भरी, जो सूर्य का प्रतीक माना जाता है। व्रती महिलाओं ने विविध सामग्री एकत्र कर मीठा चावल ग्रहण कर निर्जल व्रत कर वरदान मांगा। कोसी पूजन के समय दउरा, सूप, चावल व हल्दी का लेपन तैयार किया गया। इसके बाद दउरे में नारियल, अनार, नाशपाती, संतरा, केला, ठेकुआ, पूड़ी, रख कर सजाया। अनेक महिलाओं ने दूसरे दिन निर्जल व्रत रखा। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बने स्थाई व अस्थाई पोखरों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखी। घाटों पर श्रद्धालुओं द्वारा षष्ठी माता से संबंधित पौराणिक कथाओं को एक दूसरे को सुनने-सुनाने का दौर चलता रहा।आखिरी दिन बाजारों में काफी चहल-पहल रही। महंगाई के बाद भी पूरे दिन लोगों ने जमकर पूजन सामग्रियों व फलों की खरीदारी की। मसलन गागल नींबू, नारियल, सेव, केला, संतरा, पनियाला व गन्ना आदि काफी ऊंचे दामों पर बिके। बावजूद इसके लोगों ने इन सामानों की अपने साम‌र्थ्य के अनुसार खरीदारी की।

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कांच ही बांस के बहंगियां बहंगी लचकत जाय.

देवरिया: कांच ही बांस के बहंगियां बहंगी लचकत जाय.सहित छठ पर्व से संबंधित कई प्रमुख गीतों से शहर के नदी व घाट गुलजार रहे। इस दौरान स्वयंसेवी संगठनों ने भी अपने तईं न सिर्फ घाटों की सजावट की थी बल्कि बड़े साउंड सिस्टम के जरिए छठ पर्व के गीतों से इस महापर्व की महत्ता को लोगों तक पहुंचाने में अपना योगदान दिया।

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आज दिया जाएगा उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य

देवरिया: छठ पर्व के दूसरे बुधवार को प्रात: घाटों पर व्रती महिलाएं भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य देंगी। इसी के साथ छठ पर्व संपन्न हो जाएगा। घाटों से चलने के पूर्व व्रती महिलाएं एक दूसरे से मिलने के दौरान आपस में प्रसाद का आदान-प्रदान करेंगी, जिसके बाद वह घाटों से प्रस्थान करेंगी। घर आने पर वह स्वयं अपने हाथों से घर के लोगों व घर के अगल-बगल के लोगों में भी प्रसाद का वितरण करेंगी।

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