Diwali पर गोबर के दीये से रोशन होंगे घर-आंगन, अमेजन पर खरीद सकेंगे देवरिया में तैयार लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति
इस दीपावली पर गोबर से तैयार दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की धूम होगी। गोबर से बने वस्तुओं को अमेजन पर बिक्री करने की तैयारी चल रही है। देवरिया जिले में अलग-अलग स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं।
देवरिया, जागरण संवाददाता। दीपों का त्योहार दीपावली नजदीक आ गया है। लोग चाइनीज सामान का प्रयोग न करें, इसके लिए देवरिया जिले की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं गोबर से दीये तैयार कर रही हैं। यूपी के कई जिलों के अलावा पड़ोसी प्रांत बिहार व अमेजन पर आनलाइन दीये बेचने की तैयारी है। महिलाओं को अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है।
गोबर से तैयार हो रहे दीये व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति
दीपों का त्योहार दीपावली चंद दिनों बाद है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपक से रोशन करते हैं और खुशियां मनाते हैं। चाइनीज झालर का लोग प्रयोग न करें, इसके लिए जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गोबर से दीये व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति तैयार कर रही हैं। पिछले वर्ष तक महिलाओं के हाथों तैयार गोबर के दीयों का जनपद में ही बिक्री हुआ, लेकिन इस बार इनके दीये की मांग बढ़ गई है और यह अभी से दीये तैयार करने में जुट गई हैं।
इन महिलाओं के नेतृत्व में तैयार हो रहा दीया
भागलपुर विकास खंड के ग्राम सुकरौली की रहने वाली नंदनी मिश्रा के नेतृत्व में 50 महिलाएं दीया तैयार कर रही हैं। इसके अलावा देसही देवरिया के बरवा मीर छापर की रहने वाली सुनीता कुशवाहा व सदर विकास खंड के बड़ी बभनी की रहने वाली आशा कुशवाहा के साथ जुड़कर महिलाएं दीया तैयार कर रही हैं। आशा के नेतृत्व में 100 महिलाएं दीया बनाने का कार्य कर रही हैं। इनके पास बकायदा मशीन हैं। भागलपुर विकास खंड के चकरा बोधा की चंद्रावती देवी, चकरा उपाध्याय की उर्मिला देवी के सािा ही अन्य महिलाएं भी गोबर से दीये तैयार करने का कार्य कर रही हैं।
ऐसे तैयार किया जा रहा है गाेबर का दीया
महिलाएं पहले से ही गांव-गांव से गोबर की खरीदारी कर ली हैं और उसका कंडा तैयार की है। पूरा सूखने के बाद उसे मशीन से पाउडर बना दे रही हैं। इसके बाद साचे वाले मशीन से दीया तैयार कर रही हैं। एक दीया तैयार करने में दो रुपये तक खर्च हो रहा है। जबकि एक दीया यह चार से पांच रुपये में बेच रही हैं। जबकि आन-लाइन दीया पांच से आठ रुपये में बिक जाता है।
गोबर से हवन कंडा भी तैयार कर रही महिलाएं
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गोबर से हवन कंडा भी तैयार कर रही हैं। बभनी की आशा कुशवाहा का कहना है कि वह एक गो-शाला वाले के संपर्क में हैं और वहीं से गोबर मंगाती है। उसी गोबर से दीये व गाय के गोबर से हवन कंडा तैयार करती हैं। इसके लिए भी वह मशीन रखी हैं। एक कंडा में कपूर रख कर 20 रुपये में बेचा जाता है। एक कंडे के तैयार करने में सात से आठ रुपये का खर्च आता है। कंडा भी आन-लाइन बिकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
एनआरएलएम के उपायुक्त विजय शंकर राय ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथों तैयार गोबर के दीये की मांग इस बार बढ़ गई है। कुछ समूहों की महिलाओं के यहां से दीये दशहरा में ही बिक गए हैं। आनलाइन बिक्री के लिए महिलाओं के प्रोडक्ट तैयार कराया जा रहा है। आनलाइन बिक्री होने पर अच्छी-खासी कमाई महिलाओं की हो जाती है।