भगवान कृष्ण ने तोड़ा इंद्र का घमंड:पद्महस्ता
गो सेवा से बड़ा कोई दूसरा धर्म कार्य नहीं है जब मनुष्य आत्मिक रूप से जागृत हो जाता है तो प्रकृति का दोहन नहीं उसकी पूजा करता है।
देवरिया: दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में शिवाजी इंटर कालेज परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में पद्महस्ता भारती ने गोवर्धन पूजा प्रसंग को मार्मिक ढंग से सुनाया। गोवर्धन शब्द का अर्थ गो वंश का संवर्धन करना है। गो सेवा से बड़ा कोई दूसरा धर्म कार्य नहीं है, जब मनुष्य आत्मिक रूप से जागृत हो जाता है तो प्रकृति का दोहन नहीं उसकी पूजा करता है। यह सब जागृत आत्माएं ध्यान के द्वारा प्रकृति को अपनी दिव्य तरंगों से संपोषित करती है। कहा कि भगवान कृष्ण ने इंद्र के घमंड को चूर करने के लिए पर्वत को अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की, तभी से ब्रज में गोवर्धन की पूजा होने लगी। यहां स्वामी अर्जुनानंद, विश्व स्वरूपानंद, शन्निवेश द्विवेदी, संदेश यादव, भरत मद्धेशिया, जितेंद्र कुशवाहा, रामानंद कुशवाहा आदि मौजूद रहे।
क्षेत्र के गड़ेर योगी वीर बाबा मंदिर परिसर में शुक्रवार को नौ दिवसीय पंचकुंडीय श्री रूद्र महायज्ञ में बड़ी संख्या में पुरुष व महिलाओं ने परिक्रमा की। हर-हर महादेव के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। यज्ञाचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार की बीच विधि-विधान से पूजन-अर्चन कराया। वृंदावन से आए पूरन चंद्र शर्मा के निर्देशन में दिन में रामलीला व रात को रासलीला का आयोजन किया गया है। यहां मुख्य यजमान रविद्र प्रताप शाही, सुमन शाही, चंद्रभूषण शाही, रामकिशुन गुप्ता, त्रयम्बक पांडेय, बद्री नारायण यादव, भोला शाही आदि मौजूद रहे।