¨जदगी व मौत के बीच कट रही बंधे पर रात
देवरिया: बाढ़ की विभीषिका झेल रहे कछार वासियों की पीड़ा का दर्द हर किसी को साल रह
देवरिया: बाढ़ की विभीषिका झेल रहे कछार वासियों की पीड़ा का दर्द हर किसी को साल रहा है। एक तरफ बाढ़ पानी दूसरी तरफ जहरीले जंतुओं का खौफ रात को सोने नहीं दे रहा है। पीड़ितों की ¨जदगी मौत के साए में कट रही है। घर का सारा सामान बंधों पर बिखरा पड़ा हैं। प्रकृति की बेरुखी उन पर भारी पड़ने लगी है। तेज धूप व बारिश उनके संकट को बढ़ा रहा है।
लालमति ने बताया कि मैं अपनी पोती अनामिका और महिमा के साथ तटबंध पर रह रही हूं। घर में पानी प्रवेश करने के बाद अधिकांश सामान सड़ गया है। घर छोड़ते समय जो राशन साथ लाए थे उसी से किसी तरह काम चल रहा है। यही हाल पानमती और रामदेई का है। उनका कहना है कि दिन तो किसी तरह कट जाती है लेकिन रात काटना मुश्किल हो जाता है। तटबंध पर बैठी सृजावती का कहना है बंधे के किनारे बच्चों के साथ रहना मुश्किल हो रहा है। उनकी तबियत भी खराब हो है। हम लोगों की हालत एक शरणार्थी की तरह हो गई है।