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तटवर्ती गांवों की धड़कनें बढ़ी

देवरिया : दोआबा वासियों को विरासत में मिली तबाही से छुटकारा दिलाने की विभागीय कवायद फाइलों में धूलफा

By Edited By: Published: Sun, 26 Jun 2016 11:01 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 11:01 PM (IST)

देवरिया : दोआबा वासियों को विरासत में मिली तबाही से छुटकारा दिलाने की विभागीय कवायद फाइलों में धूलफांक रही है। बाढ़ के पानी की तरह उनके अरमान बहते जा रहे हैं। राप्ती के तट पर बसे सीमावर्ती गांव नगवां खास में हर वर्ष नदी कटान कर घरों को नदी में विलीन कर रही है। बार-बार उजड़ना और बसना लोगों की तकदीर बन चुकी है।

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विभाग ने बचाव के नाम पर निरोधात्मक उपाय की जहमत तक नहीं उठाई। गांव के किनारे हो रही कटान से बचाव के लिए ठोकर बनाना आवश्यक है। सन 1998 की बाढ़ के बाद 2002 में भी आई बाढ़ का दंश गांव को भी झेलना पड़ा था। नगवां छपरा तटबंध पर स्थित गांव की लंबाई 15 किमी है। इसके किनारे गांवों पर नदी के दबाव को देखते हुए विभाग ने छह वर्ष पूर्व 2009-10 में 3 अदद स्पर निर्माण के लिए 295 लाख का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था। सरकार तो बदल गई, लेकिन कछारवासियों की तकदीर नहीं बदली। इस तटबंध पर कुल 7010 हेक्टेयर क्षेत्रफल की सुरक्षा का भार है।

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रेगुलटेर भी बदहाल

इस तटबंध के किनारे चार बैरल का रेगुलेटर लगा है। विभाग ने न तो इसकी आय¨लग, ग्रिसींग, पेंटिग और सफाई की है न ही इसका प्लेटफार्म बनाया है, जबकि मानसून दस्तक दे चुका है।

------------------------------------------------------------------------------------------------------बाढ़ का खौफ बरकरार

-तटवर्ती ग्रामीण रमजान, प्रभाकर राव, सुधाकर राव, सुरेन्द्र ¨सह का घर नदी में सन 98 की बाढ़ में विलीन हो चुका है। बाढ़ का खौफ उनके जेहन में आज भी ¨जदा है। क्षेत्र के रमापति शुक्ल, हरिश्चंद्र राव,अमरजीत ¨सह, नागेन्द्र राव, कुंदन राव, गुडडू राव, गुलाब यादव, मिथिला यादव, करुणेश त्रिपाठी आदि लोगों का कहना है कि गांवों को बचाने के लिए निरोधात्मक उपाय करना जरूरी है। इस बाबत उप जिलाधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया कि कछार की हालत की प्रतिदिन रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को प्रेषित किया जा रहा है।


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