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लक्ष्य तक पहुंचाता धैर्य व सदाचार का संस्कार

जागरण संवाददाता, देवरिया : संस्कार के बिना प्रगति का कोई मतलब नहीं है। संस्कारवान व्यक्ति ही देश

By Edited By: Published: Wed, 07 Oct 2015 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2015 10:57 PM (IST)
लक्ष्य तक पहुंचाता धैर्य व सदाचार का संस्कार

जागरण संवाददाता, देवरिया : संस्कार के बिना प्रगति का कोई मतलब नहीं है। संस्कारवान व्यक्ति ही देश व समाज के लिए उपयोगी साबित होता है। जिसमें संस्कार नहीं है, उसकी शिक्षा अधूरी है। प्रगति के पथ पर ऊंचाई पाने के लिए व्यक्ति में धैर्य एवं सदाचार का संस्कार होना आवश्यक है।

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इस आशय के विचार शहर के सेंट जेवियर्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दैनिक जागरण के संस्कारशाला अभियान के क्रम में आयोजित धैर्य एवं सदाचार विषय पर व्याख्यान में यहां के निदेशक राजीव कुमार ने व्यक्त किए। जागरण द्वारा बच्चों में संस्कार पैदा करने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्व में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र है। इसलिए इस अभियान का व्यापक असर समाज पर पड़ेगा। विशेषकर बच्चों की नींव संस्कार के मामले में मजबूत होगी। उन्होंने धैर्य एवं सदाचार को एक दूसरे का पूरक बताते हुए इसे अपने संस्कार में लाने का आह्वान बच्चों ने किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान पर कहा कि धैर्य एवं सदाचार के बल पर इस महापुरुष ने हमें आजादी दी। ऐसे में हमें भी गांधी के मार्ग पर चलते हुए धैर्य एवं सदाचार को जीवन में अपनाना चाहिए। निदेशक ने बच्चों से धैर्य रखकर यातायात नियमों का पालन करने की नसीहत दी। उन्होंने बताया कि धैर्य व्यक्ति को प्रगति के पथ पर ले जाता है। धैर्य रखने वाला व्यक्ति प्रगति पथ पर कभी थकता नहीं है। जबकि धैर्य खोने वाला व्यक्ति रास्ते में ही भटक कर लक्ष्य तक पहुंचने से नाकाम हो जाता है। फिर उसे जीवन भी निराशा झेलनी पड़ती है। इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिका शिवांगी मणि त्रिपाठी, सुमन गुप्ता, प्रियंका मिश्रा, अनामिका मिश्रा, सीमा घोष, रुकशार परवीन, नीहिता गुप्ता, रीना वाधवानी, ललिता यादव, देवी चक्रवर्ती, अंजली अग्रवाल, रिचा पांडेय, शिक्षक दीपक श्रीवास्तव, रमापति पांडेय एवं राहुल राय उपस्थित रहे।

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बच्चों का संस्कार पर जोर

- व्याख्यान में स्कूल के बच्चों ने अपनी बात रखते हुए संस्कार पर जोर दिया। नीतिश कुंवर, रोशन गुप्ता ने कहा कि बड़ों की बात मानना हमारे संस्कार में होना चाहिए। साइमा परवीन और जूफी फैयाज ने कहा कि धैर्य रखने वाला व्यक्ति हर काम विवेक से करते है। धैर्य खोने का वाला बहुत आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि उसके सामने बहुत चुनौतियां आएंगी। प्रियांश पांडेय एवं सुभांगी गौड़ ने अपनी दिनचर्या में धैर्य एवं सदाचार को ध्यान में रखने की बात कही। अंकित राव और सत्यम गुप्त ने जागरण में प्रकाशित संस्कार शाला के तहत लेख पर सबका ध्यान आकृष्ट कराया। सौम्या चौबे, अंकित तिवारी और आदित्य प्रताप ¨सह ने गुरुजनों और माता-पिता के प्रति श्रद्धा रखने और इनके बताए रास्ते पर चलने का आग्रह किया।


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