Move to Jagran APP

जिससे नहीं थी आस, वही ले गया अपने साथ

????? ????????? ???????? ??? ??? ???? ???????? ?? ???????? ?????? ?? ??????? ??????????? ?????? ??? ???? ??????? ??? ?????? ????? ???? ???? ?? ????? ????? ??? ??? ????? ???? ?? ?????? ????? ??? ?? ??? ???? ????? ??? ???? ??????? ?? ??????????? ?? ????? ???? ?? ?????? ??? ??? ???? ?????? ?? ???? ??? ?????? ???? ?? ???? ???? ?? ??? ?? ????? ??? ????? ?? ???? ?? ???? ?????? ???? ??? ?? ?? ???? ??? ???? ??????? ???? ???? ????? ??? ?? ??? ????? ?? ???? ?? ?????? ??? ?? ????

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:18 AM (IST)
जिससे नहीं थी आस, वही ले गया अपने साथ
जिससे नहीं थी आस, वही ले गया अपने साथ

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : तीन दशक पहले बुलंदशहर के डालचंद्र परिवार से बिछड़कर चित्रकूटधाम पहुंचे थे। यहां मंदिरों में ठिकाने बदलते रहे। उम्र के आखिरी पड़ाव में अंग शिथिल होने पर रामघाट पहुंच गए। छह दिन पहले बारिश में भीगे बुजुर्ग पर समाजसेवियों की निगाह पड़ी तो जिदगी बदल गई। सोशल मीडिया पर डाला गया वीडियो उनके उस छोटे बेटे के पास तक पहुंच गया, जिसकी कम उम्र को लेकर उन्हें यहां आने की आस नहीं थी। बेटा मंगलवार सुबह अपने चचेरे भाई के साथ वृद्ध जन दिवस पर उन्हें साथ ले गया। यह मिलन देख लोग राम-भरत मिलाप की यादें ताजा कर रो पड़े।

loksabha election banner

बुलंदशहर के खुर्जा थानांतर्गत मूंडाखेड़ा निवासी 80 वर्षीय डालचंद्र प्रजापति करीब 30 साल पहले पत्नी के निधन के बाद भटककर चित्रकूट आ गए थे, तब उनका बड़ा बेटा राकेश 26 साल का था और छोटा पवन उर्फ कल्लू महज चार साल का। पिता के लापता होने पर बड़ा बेटा राकेश ढूंढता रहा। इस बीच गुड़ बनाते समय कढ़ाही में गिरकर उसकी मौत हो गई। पिछले सप्ताह राम घाट पर डालचंद्र सीढि़यों के पास बारिश से भीगे कंबल में ठिठुरते हुए समाजसेवी आनंद सिंह पटेल को मिले। उन्होंने बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह व सीतापुर चौकी इंचार्ज रामवीर सिंह को बताया। अजीत ने रविवार को बातचीत कर वीडियो बना सोशल मीडिया पर डाल दिया। उसमें बुजुर्ग ने छोटे बेटे की कम उम्र के कारण बेकार बताया था लेकिन उन्हें क्या पता था कि वही बेटा बड़ा हो चुका है। मंगलवार सुबह पिता-पुत्र की मुलाकात रैन बसेरा सीतापुर में हुई। 34 वर्षीय छोटे बेटे पवन उर्फ कल्लू व भतीजे अशोक के मिलने पर तीनों काफी देर रोते रहे। इससे हर किसी की आंखें नम हो गईं। पवन ने बताया कि पिता की उसे ठीक ढंग से तस्वीर तक याद नहीं थी। बड़े भाई राकेश व बहन जयवती ने परवरिश की।

छह दिन पिता की तरह रखा

छह दिन पहले राम घाट पर मिले बुजुर्ग को आनंद सिंह, अजीत सिंह, नाविक मूलचंद्र व सफाई नायक बसंत यादव ने पुत्र की तरह सेवा की। प्रतिदिन कपड़े बदले। खाना और सुरक्षित स्थान दिया। वीडियो देख दिल्ली में निजी कंपनी में काम करने वाला बेटा दौड़कर आया। नगर पालिका के ईओ नरेंद्र मोहन मिश्रा ने पुत्र की तारीफ की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.