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धर्मनगरी के 'मिनी खजुराहो' की चमक फीकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मध्यप्रदेश के खजुराहो की वास्तु कला की तर्ज पर धर्म नगरी में निमि

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 06:43 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 06:43 PM (IST)
धर्मनगरी के 'मिनी खजुराहो' की चमक फीकी
धर्मनगरी के 'मिनी खजुराहो' की चमक फीकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मध्यप्रदेश के खजुराहो की वास्तु कला की तर्ज पर धर्म नगरी में निर्मित गणेश बाग की चमक फीकी होती जा रही है। इसका निर्माण कराने वाले पेशवाओं का महल भी जर्जर हो चुका है। हालात ये हैं कि 'मिनी खजुराहो' के नाम से प्रसिद्ध इस धरोहर की बाउंड्रीवाल टूट चुकी है। इससे यहां आवारा जानवरों का जमावड़ा रहता है।

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गणेश बाग पर्यटन के नजरिये से कर्वी मुख्यालय की शान है। पुरातत्व विभाग इसके संरक्षण का दावा तो करता है लेकिन इसके हालात देखकर ऐसा नहीं लगता। इतिहासकार बताते हैं कि राजा छत्रपाल से पेशवा बाजीराव प्रथम को बुंदेलखंड का तिहाई भाग उपहार में मिला तो मराठों ने यहां अपनी जड़ें जमानी शुरू कीं। मराठों ने बुंदेलखंड में कई किले, बावड़ी व मंदिर निर्मित कराए। गणेश बाग का मंदिर इनमें से एक है।

यहां की विशेषता

खूबसूरत तालाब के पास दो मंजिला मंदिर की बाहरी दीवारों पर पच्चीकारी में सात अश्वों के रथ पर सवार सूर्यदेव, कहीं विष्णु भगवान हैं तो कई देवों के समूह दिखते हैं जो हूबहू खजुराहों की वास्तुकला की तर्ज पर हैं। इतिहासकारों के मुताबिक इसका निर्माण 18वीं-19वीं शताब्दी में विनायक राव पेशवा ने कराया था। मंदिर का आंतरिक हिस्सा खजुराहो की कला और शैली जैसा ही है। इसीलिए इसे मिनी खजुराहो कहा जाता है।

पेशवा महल में पहले कोतवाली अब महिला थाना

कर्वी मुख्यालय में झांसी-मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्मित पेशवा महल में पहले कोतवाली थी अब यहां महिला थाना संचालित है। इसके चारों तरफ कब्जे हो चुके हैं। संरक्षण के अभाव में नींव से लेकर दीवारे तक जर्जर हैं जो कभी भी ढह सकती हैं। गणेश बाग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा पेशवा महल को संरक्षित करने के लिए विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के माध्यम से इस्टीमेट तैयार कराया गया है। जल्द ही काम शुरू करा दिया जाएगा। कब्जे हटाए जाएंगे।

-विशाख जी, जिलाधिकारी चित्रकूट।


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