खुद की सेहत संवार धरोहरों को सहेज रहे
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कुछ कर गुजरने की ललक हो तो सब कुछ संभव है। इसी राह पर चलकर संतो
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कुछ कर गुजरने की ललक हो तो सब कुछ संभव है। इसी राह पर चलकर संतोष अतरौलिया और उनकी टीम हर जुबां पर छाई हुई है। वजह, वह खुद की सेहत संवारने के साथ ही धरोहरों को सहेजने में जुटे हैं। मार्निग वॉक के दौरान ऐतिहासिक धरोहरों की सफाई करना उनका शगल बन गया है। यही नहीं धरोहरों को नुकसान से बचाने का संदेश भी लोगों को देते हैं। धीरे-धीरे अब उनके साथ कारवां जुड़ गया है।
कुछ इस तरह ला रहे बदलाव
चित्रकूटधाम कर्वी के धुस मैदान में रहने वाले संतोष अतरौलिया बताते हैं कि एक दशक पहले सुबह टहलने के दौरान लोगों को सफाई के लिए जागरूक करने की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे यह जुनून बन गया। चार साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की अलख जगाई तो बल मिला। बेहतर सोच से बदलाव आने लगा। अब ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों पर खुद व टीम के साथ सफाई कर वहां पहुंचने वालों को भी प्रेरित करते हैं।
श्रद्धालुओं के कारण स्वच्छता जरूरी
संतोष वाराणसी के घाटों की स्वच्छता से प्रभावित हैं। संतोष सुबह निकलने के दौरान खुद गंदगी हटाते हैं। कहते हैं कि ऐतिहासिक गणेश बाग, लैना बाबा मंदिर, कामदगिरि परिक्रमा स्थल समेत कई जगह प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसलिए सफाई बेहद जरूरी है वर्ना वह चित्रकूट के प्रति नकारात्मक सोच लेकर जाएंगे। ऐतिहासिक धरोहरों के साथ मंदाकिनी नदी की सफाई में भी योगदान देते हैं। डॉ. एसपी त्रिपाठी के साथ वह मंदाकिनी के राजा घाट पर कई बार सफाई अभियान चला चुके हैं।
अभियान में यह लोग भी जुड़े
ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहरों की सफाई, संरक्षण के लिए श्रीराम श्रीवास्तव, राम मनोहर वर्मा, रमा शंकर शर्मा, राजीव गर्ग, आरएस विश्वकर्मा के साथ करीब डेढ़ दर्जन लोग नियमित रूप से अभियान को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। 45 वर्षीय संतोष बताते हैं कि टीम में अब 25 से 30 साल के युवाओं को जोड़कर धरोहरों को बचाने की सोच विकसित की जाएगी।