खनन माफिया के खेल से बढ़े बालू के दाम
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बालू खनन व बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने ई-टेंडर
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बालू खनन व बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने ई-टेंडर प्रक्रिया लागू की है लेकिन ¨सडीकेट ने इसकी काट खोज ली है। पट्टाधारक एक साथ खनन न कर अलग-अलग काम करते हैं। इससे मांग बढ़ने व आपूर्ति कम होने के कारण दरों में उछाल आया है। वर्तमान में चार हजार रुपये में महज 70 फीट बालू मिल रही है। भवन निर्माण कराने वाले बेहाल हैं। इसमें अफसरों की भी मिलीभगत सामने आ रही है। डीएम ने मामले की जांच कराने की तैयारी की है।
इन घाटों के पट्टे, यहां खनन
जिले में बीते एक से डेढ़ साल में ई-टेंडर के माध्यम से पहाड़िया बुजुर्ग, दहनी, बिहरवां, मऊ-ब, गुरगौला, डिगरी, करारी, कहेटा, गढ़ी घाट, गड़ौली और साईंपुर बालू घाट का पट्टा हुआ था लेकिन खनन सिर्फ गड़ौली व साईंपुर में वर्तमान में हो रहा है। लगातार हर घाट पर खनन नहीं होने से माल आपूर्ति में कर्मी आई है। इससे स्थानीय बाजारों से लेकर बाकी जगहों पर ऊंचे दाम में खरीद करनी पड़ रही है।
ट्राली में कम बालू से चपत
¨सडीकेट का कमाल यह है कि एक-दूसरे से गठजोड़ कर लिया है और फायदा सभी ले रहे हैं। भाजपा सरकार बनने के बाद बालू के दाम 6 से 7 हजार रुपये प्रति सौ फीट थे। अब ट्राली में सौ की बजाय महज 70 फीट बालू चार हजार रुपये तक में दी जा रही है। उसे भी सौ फीट की मान्यता दे रखी है। घटतौली खत्म करने के साथ सभी घाटों पर खनन हो तो राहत मिल सकती है।
''अभी सभी घाटों पर बालू नहीं है इसलिए कुछ जगह पट्टा धारक खनन नहीं कर रहे हैं। दोनों घाट पर खनन से बालू निकल रही है। घटतौली की जांच कराएंगे। - मिथिलेश कुमार पांडेय, जिला खनिज अधिकारी चित्रकूट।
''यमुना व बागे नदी के खनन पट्टों की जांच कराई जाएगी। पट्टे के बावजूद खनन नहीं करने वालों से वजह जानकर आगे कार्रवाई होगी।- विशाख जी., जिलाधिकारी चित्रकूट।