गरीबों की भूख से लड़ती युवाओं की टोली
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : अपने लिए तो सभी जीते हैं, दूसरों के लिए कैसे जिया जाता है, ये धर्मनग
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : अपने लिए तो सभी जीते हैं, दूसरों के लिए कैसे जिया जाता है, ये धर्मनगरी चित्रकूट के जिंदादिल युवाओं की टोली से सीखिए। गरीबों की भूख मिटाने के बाद खुद भोजन को इन युवाओं ने जिंदगी का मकसद बना लिया है। रोजाना दो से तीन दर्जन भूखे गरीबों को भोजन कराकर वह भूख मुक्त भारत का ख्वाब साकार करने में जुटे हैं। युवाओं की ये टोली कर्वी मुख्यालय के साथ ग्रामीण इलाकों में खाद्य सामग्री एकत्र करती है और बनाकर वितरित करती है। टोली के युवा घर से जेब खर्च के लिए मिलने वाली धनराशि को भी गरीबों के लिए खर्च करने से नहीं हिचकते।
वेदना देख बदली सोच
कर्वी कोतवाली के पीछे रुक्मणि सेवा संस्थान परिसर स्थित भूख मुक्त भारत अभियान कार्यालय से जुड़े मुख्यालय निवासी अतुल रैकवार बताते हैं कि अक्सर रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर भूख से बेचैन लोगों को देखने के बाद उनकी मदद की ठानी। साथियों से बात साझा करने पर धीरे-धीरे यह कारवां बनने लगा। युवाओं की उत्साही टीम खाद्य पदार्थ आटा, दाल व चावल एकत्रित कर पकाने के बाद गरीबों को वितरित करती है। शादी समारोह या किसी आयोजन से बचा खाना भी एकत्र कर जरूरतमंदों में बांटते हैं।
यहां प्रतिदिन खिलाते भोजन
बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के साथ सार्वजनिक स्थानों पर टीम प्रतिदिन भोजन वितरण का काम कर रही है। पहाड़ी ब्लाक के उसरापुरवा और मानिकपुर ब्लाक के बहिलपुरवा व आसपास के गांवों में निराश्रितों व गरीबों को भोजन मुहैया कराने की कोशिश परवान चढ़ रही है।
बांदा में भी जुटी टीम
टीम के सदस्य बांदा में मर्दननाका मोहल्ले में भी काम कर रहे हैं। एक दिन में दस किलो आटा, 12 किलो चावल इकट्ठा करने के बाद प्रत्येक रविवार को वहां पर भोजन बनाकर वितरण होता है। इसमें लोग भी मददगार बन रहे हैं।
टीम में यह भी शामिल
खाद्य सामग्री इकट्ठा करने, भोजन बनाकर वितरित करने वाली टीम में साहिल, भानु, विकास, अमन, दीपक रैकवार, रेखा देवी, अजय कुमार, विद्या देवी भी शामिल हैं। अतुल बताते हैं कि धीरे-धीरे संख्या में इजाफा हुआ है। अब आसपास के जिलों में भी साथी जोड़ने की तैयारी है।