खेल संघ ही नहीं, खिलाड़ी तराशे कौन
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : चित्रकूट में आजादी के बाद से ही खेल और खिलाड़ियों की अनदेखी
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : चित्रकूट में आजादी के बाद से ही खेल और खिलाड़ियों की अनदेखी हो रही है। हैरानी की बात है कि यहां अब तक कोई खेल संघ ही नहीं है। ऐसे में खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं के चयन के लिए बांदा, इलाहाबाद, सतना, वाराणसी, कौशांबी जिलों में भटकना पड़ता है।
स्थानीय एसोसिएशन वे भी कम
जिले में सिर्फ कुछ स्थानीय एसोसिएशन ही हैं जो खिलाड़ियों को निखारने की कोशिश में जुटी हैं। इनमें चित्रकूट स्पोर्ट्स क्लब, सुभाष स्पोर्टिंग क्लब व ताज स्पोर्टिंग क्लब शामिल हैं। हॉकी को ¨जदा रखने वाले पूर्व अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षक प्रेमशंकर शुक्ला यहीं के हैं पर प्रशिक्षण के कोई इंतजाम नहीं हैं।
ये खेल होते ही नहीं
ओलंपिक में शामिल मुक्केबाजी, तलवारबाजी, कुश्ती, बैड¨मटन, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबाल, तैराकी, एथलेटिक्स में दौड़, कूद, जिम्नास्टिक, टेबिल टेनिस, टेनिस, जूडो समेत करीब 30 खेल हैं। इनमें से कोई भी खेल यहां नहीं होता है। इनका कहना है
खेल संघों की निगाह इधर नहीं पड़ी है। सरकार भी अनदेखी कर रही है। इसलिए खेल व खिलाड़ी दोनों नदारद हैं।
-कमलेश कुमार, चित्रकूट स्पोर्ट्स क्लब हॉकी के प्रशिक्षण के लिए कई बार व्यवस्थाएं कराने के लिए प्रयास किए पर कोई बात नहीं बनी। कुछ बच्चों को बिना सुविधा ही टिप्स देता हूं।
-प्रेमशंकर शुक्ला, पूर्व अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षक हॉकी।