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लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, मंदाकिनी में लगाई डुबकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मंगलवार को पितृ विसर्जनी (पितृ मोक्ष) अमावस्या पर धर्मनगरी चित्रकूट

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 10:57 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 10:57 PM (IST)
लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, मंदाकिनी में लगाई डुबकी
लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, मंदाकिनी में लगाई डुबकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मंगलवार को पितृ विसर्जनी (पितृ मोक्ष) अमावस्या पर धर्मनगरी चित्रकूट में देश के कई प्रांतों से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।रामघाट पर मंदाकिनी में डुबकी लगाने के बाद हाईवे पुल, राघव प्रयाग घाट पर पितरों का तर्पण किया। श्रद्धालुओं ने मुंडन कराने के बाद पितरों को जल अर्पित किया व ¨पडदान कर कामदगिरि परिक्रमा लगाने पहुंचे।

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सोमवार सुबह से जिले में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला मंगलवार पूरे दिन चला। लोगों ने मंदाकिनी के घाटों पर पूर्वजों के ¨पडदान व तर्पण के बाद मत्यगजेंद्र नाथ स्वामी के दर्शन किए। राम घाट व राघव प्रयाग घाट पर ज्यादा भीड़ दिखी। ट्रेनों-बसों में भीड़, टेंपो-टैक्सी पर बाहर लटके

जिला प्रशासन व पुलिस ने तीन दिवसीय अमावस्या मेला को लेकर पुख्ता इंतजाम किए। इसके बाद भी ट्रेनों-बसों की छतों व टेंपो पर बाहर लटक कर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला चला। रामघाट पर स्नान व तर्पण करने को लेकर व्यवस्थाएं कम पड़ गईं। पितृमोक्ष (पितृ विसर्जनी) अमावस्या पर बुंदेलखंड के साथ आसपास जिलों व दूसरे प्रांतों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। जिलाधिकारी विशाख जी व पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा ने अफसरों के साथ खुद मेले की कमान संभाली। चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, सीतापुर, बेड़ी पुलिया, शिवरामपुर, रामघाट, कामदगिरि परिक्रमा स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स व अफसर तैनात रहे। वाट्सअप ग्रुप पर सक्रिय रहकर फौरन सूचनाओं का आदान-प्रदान किया गया। इसलिए पितृ विसर्जनी अमावस्या का महत्व

कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत जगद्गुरु स्वामी रामस्वरूपाचार्य बताते है कि ऐसी मान्यता है त्रेतायुग में भगवान श्रीराम जब चित्रकूट में वनवास काल काटने आए थे तभी उनके पिता दशरथ की मौत हो गई थी। उसके बाद तर्पण व ¨पडदान मंदाकिनी के राघव प्रयाग घाट पर उन्होंने किया था। तभी से लोग लाखों की संख्या में लोग चित्रकूट में प्रति वर्ष पितृ विसर्जनी अमावस्या पर आते हैं। अपने पितरों का तर्पण व ¨पडदान करते हैं।


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