कोरोना को हराने में कारगर हथियार है दूध
कोरोना को हराने में कारगर हथियार है दूध
नीलेश प्रताप सिंह, चित्रकूट : कोरोना भले दुनिया भर में भय का माहौल हुए बनाए है लेकिन, अपने देश के आयुर्वेद व खान-पान में इतनी भरपूर ताकत है कि इस वायरस को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है। दूध अपने खान-पान में विशेष महत्व रखता है। कोरोना से लड़ने के लिए दूध काफी कारगर है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। यहां तक, यह कोरोना संक्रमण के प्रभाव को भी कम कर सकता है। यही वजह है कि कोरोना संक्रमितों के इलाज में उन्हें खानपान में दूध शामिल कर दिया जा रहा है।
कोरोना को हराकर घर लौटे जिला अस्पताल के एक स्वास्थ्यकर्मी के मुताबिक संक्रमित मरीजों के लिए दूध वरदान है। संक्रमितों को हल्दी मिला गुनगुना दूध दो बार दिया जा रहा है। सीएमओ डॉ. विनोद कुमार यादव बताते हैं कि दूध ओर बेहतर खानपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसीलिए 15 मरीजों की महज नौ दिन में दो बार कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई। वह स्वस्थ होकर लौटे। संक्रमितों में भी तेजी से सुधार हो रहा है। लोगों को दूध सेवन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उधर, जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आकांक्षा सिंह कहती हैं कि नवजात शिशुओं को जन्म के छह माह तक मां का दूध अनिवार्य करने के पीछे भी उसकी विशेषताएं ही हैं।
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पोषक तत्वों का खजाना
मैग्नीशियम, कैल्सियम, जिक, ऑयोडीन, फॉसफोरस, पोटेशियम, आयरन, फोलेट्स, विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-बी 12, राइबोफ्लेविन प्रोटीन, अमीनो और फैटी एसिड।
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है दूध उत्पादन
बुंदेलखंड के जिलों समेत चित्रकूट में ग्रामीण इलाकों में पशुपालन बड़ा रोजगार है। किसान दूध का खोवा बनाकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार तक कारोबार करते हैं। लॉकडाउन से पहले प्रतिदिन छह लाख लीटर दूध उत्पादन में चार लाख लीटर की बिक्री होती थी, अब 80 हजार लीटर यानी 20 फीसद बिक्री बढ़ी है। दूध ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जिले में दूध उत्पादन पर एक नजर
प्रतिदिन उत्पादन : 06 लाख लीटर
खोवा बनाते हैं : 60 क्विटंल
दूध कारोबारी : 10,000
उत्पादक किसान : 1.25 लाख
प्रतिमाह कारोबार : 25 लाख रुपये
जिले में उत्पादक गांव : 325 उत्पादक बोले
दो पीढि़यां दूध कारोबार से जुड़ी हैं। होटल व बाहर का दूध बंद है लेकिन जिले में कस्बों से लेकर गांवों तक मांग बढ़ी है। घरों पर घी भी बना रहे हैं।
-रज्जन प्रसाद, मानिकपुर
दो दर्जन गाय-भैंस से डेढ़ सौ लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन करते हैं। अब खोवा के साथ फुटकर बिक्री से बेहतर आमदनी हो रही है।
-राजेंद्र कुमार, राजापुर।