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जंजीर से बंधे थे दोनों भाइयों के हाथ-पैर, जाल में था भारी पत्थर

संवाद सहयोगी बबेरू आरोपितों की शिनाख्त पर रविवार को पुलिस घटना स्थल बाकल गांव मर्का के अ

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 10:43 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 10:43 PM (IST)
जंजीर से बंधे थे दोनों भाइयों के हाथ-पैर, जाल में था भारी पत्थर
जंजीर से बंधे थे दोनों भाइयों के हाथ-पैर, जाल में था भारी पत्थर

संवाद सहयोगी बबेरू : आरोपितों की शिनाख्त पर रविवार को पुलिस घटना स्थल बाकल गांव मर्का के औगासी घाट पहुंची। जहां चित्रकूट के अपहत जुड़वां बच्चों की यमुना में खोज शुरू कराई गई। करीब दो घटे की कड़ी मशक्कत के बाद गोताखोरों सफलता मिली। बच्चों की शव बाहर आए तो देखने वाले भी दंग रह गए। दोनों भाइयों के हाथ और पैर एक दूसरे से जंजीर से बंधे थे। शवों को मच्छर दानी में लपेटकर साथ एक भारी पत्थर उसमें रखा गए था ताकि शव पानी में ऊपर न आ सके।

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चित्रकूट निवासी व्यवसाई ब्रजेश रावत के पुत्र प्रियांश व श्रेयांश के अपहरण के मामले में शुक्रवार को एसटीएफ के जवानों ने मर्का थाने के ग्राम भभुवा में रात 3 बजे कई स्थानों पर छापेमारी की थी। जिसमें राजू पुत्र राकेश द्विवेदी, रोहित पुत्र ब्रह्मदत्त द्विवेदी सहित आठ लोगों को हिरासत में लिया था। हत्यारोपितों ने एसटीएफ के जवानों के सामने हत्या करने का मामला स्वीकार कर लिया। एसटीएफ ने घटना की जानकारी मर्का थानाध्यक्ष जाकिर हुसैन को शनिवार की रात करीब 12 बजे दी। दोनो प्रदेशों की पुलिस आरोपितों को लेकर घटना स्थल बाकल गांव मर्का के औगासी घाट पहुंचे। जहां गोताखोर गुलाब निषाद , रामहित, सियाराम, प्रताप , मूलचंद्र को लेकर यमुना नदी में जाल डलवाकर खोजना शुरू किया। रात में ही गोताखोरों ने यमुना नदी में छलांग लगाकर दोनो मासूम बच्चों के शवों को दो घंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाला।

दोनों बेटों के शव देखकर बेहोश हुए पिता

यमुना नदी में तलाश के बाद जैसे ही दोनों भाईयों के शव बाहर निकाले गए तो उन्हें देखकर पिता ब्रजेश रावत बेहोश हो गए। जबकि परिजन बेहाल रहे।

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लैंप व टार्चों की रोशनी में ढूंढा शव

बबेरू : गोताखोर रामहित ने बताया कि रात में जब पुलिस उनके घर पहुंची और दरवाजा खुलवाया तो हमारा परिवार डर गया। लेकिन जब पुलिस ने घटना के बारे में जानकारी दी और कहा कि मदद की जरूरत है तो गांव के सभी गोताखोर औगासी घाट से नाव लेकर बाकल गांव पहुंचे। जहां उन बच्चों को फेंका गया था। पुलिस द्वारा रोशनी के लिए लैंप व टार्चों की व्यवस्था की गयी थी। उसी के सहारे यमुना नदी में कूदकर शव को बाहर निकाला ।


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