रामायण के हर अंश में जिदगी जीने की सीख
जागरण संवाददाता चित्रकूट रामायण के हर अंश में जिदगी जीने की सीख है। माता सीता ने नारिय
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : रामायण के हर अंश में जिदगी जीने की सीख है। माता सीता ने नारियों के तीनों रूपों को प्रतिष्ठित कर समाज को सीख दी है। चित्रकूट के कण-कण को पवित्र करने में मां कैकेयी मददगार रहीं हैं। डॉ. राममनोहर लोहिया प्रेक्षागृह सीतापुर चित्रकूट में पांच दिवसीय राष्ट्रीय रामायण मेला (प्रांतीय कृत) के 46वें समारोह के चौथे दिन वक्ताओं ने ये बातें कहीं।
गोष्ठी में शामिल चिरगांव झांसी की मानस मंदाकिनी पाण्डेय ने कहा कि राम के साथ सीता जी के चरित्र की भावनाएं जुड़ी हैं। उनके आदर्शो ने समाज को शिक्षा दी है। नारियों के तीन रूप प्रेमातुरा, प्रतिष्ठातुरा, विरहातुरा को उन्होंने जीवंत किया है। कहा कि देश की उन्नति में संत, सती और सूर की भूमिका अहम है।
फतेहगंज बांदा से आए डॉ. तीरथ दीन पटेल ने बुंदेली लोकगीत के माध्यम से कामदगिरि पर्वत, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, भरतकूप, हनुमान धारा, जानकी कुंड, पंचकोसी व अन्य स्थलों का महत्व बताया। मुंबई के वीरेन्द्र प्रसाद शास्त्री ने श्रीराम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि अग्नि, सूर्य, चंद्रमा से कई गुना अधिक तेज राम के नाम में है। जयपुर की साहित्यकार पद्मश्री डॉ. प्रो. सरोज गुप्ता ने वर्तमान में देश की परिस्थिति पर कहा, 'होती नहीं अच्छी कभी जंग दोनों के लिए, खून से धरती रंगे ये आंख की शोभा नहीं।
अनुसंधानकर्ता डॉ. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने बताया कि रामायण मेले में सीता के चरित्र को आधार बनाकर नारियों के संबंध में मार्मिक चितन किया गया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय की कोमल द्विवेदी ने काव्य पाठ में पाठा क्षेत्र की नारियों की बात रखी। रांची बिहार विश्वविद्यालय हिदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय, डॉ. स्वर्ण लता, मानस मुक्ता यशोमति मुजफ्फरपुर, डॉ. देवेन्द्र चंद्र दास गुवाहाटी आसाम, किरण त्रिपाठी, वंदना तिवारी, रघुनाथ रामायणी करेली और डॉ. उदयशंकर दुबे भदोही ने भी विचार रखे।