रेलवे ट्रैक और शिकारी वन्य जीवों पर भारी, डेढ़ दर्जन मौतें
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संवाद सहयोगी, मानिकपुर (चित्रकूट) : मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग के मानिकपुर से सतना के बीच रेलवे ट्रैक और शिकारी वन्य जीवों के लिए कान बन चुके हैं। महज एक साल के अंतराल में डेढ़ दर्जन मौतें हो चुकी हैं। इनमें भालू, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, बाघ से लेकर दूसरे वन्य जीव शामिल हैं। लगातार खतरा बढ़ने के बाद भी वन महकमे के अफसर नींद में हैं।
यहां खेतों में तार और शिकारी हावी
मानिकपुर तहसील के पाठा अंतर्गत फसलों को बचाने के लिए लगाए गए कंटीले तार और शिकारी हरिजनपुर, सुखरामपुर, चुरेह केशरुवा, निही चरैया, करौंहा, डोडामाफी व आसपास के गांव प्रभावित हैं। इनमें सांभर, हिरन, रीछ, जंगली गाय अक्सर मौत की नींद सो जाते हैं। 2016 में बाघ की भी चितहरा के पास ट्रेन से टकराकर मौत हो गई थी। इसी तरह रैपुरा रेंज के गढ़चपा में तेंदुआ, सांभर व भालू की मौत 2018 व 2019 में करंट से हो चुकी है।
दो साल से अटक लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर
सरकार पाठा की विध्य पर्वत श्रृंखला में चित्रकूट टाइगर रिजर्व व लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाने को लेकर दो साल से कोशिश में है लेकिन लगातार वन्य जीवों की मौतों के बाद भी अब तक जमीनी काम नहीं हुआ है। वन्य जीव प्रतिपालक जीडी मिश्र कहते हैं कि लगातार सर्चिंग कर ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं। शासन स्तर से हरी झंडी मिलते ही आगे के काम होंगे।
एक साल में वन्य जीवों के साथ घटनाएं
24 मार्च 2019 : मानिकपुर के निही जंगल मे सांभर, भालू व बंदर की करंट से मौत।
22 जून 2019 : मझगवा टिकरिया के रेलवे ट्रैक के इटवां में ट्रेन की चपेट में भालू की मौत।
17 नवम्बर 2019 : मारकुंडी जंगल से सटे मझगवां रेंज मे करंट से सांभर ने दम तोड़ा।
05 जनवरी 2020 : मानिकपुर सतना रेलखंड के टिकरिया-मारकुंडी के बीच ट्रेन से कटकर तेंदुआ मरा।
14 जनवरी 2020 : मारकुंडी से बराहमाफी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन से कटकर जंगली बिल्ली मरी।