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अलविदा 2020 : मंदिरों के पट रहे बंद, सन्नाटे बीते पर्व

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By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 06:59 PM (IST)
अलविदा 2020 : मंदिरों के पट रहे बंद, सन्नाटे बीते पर्व

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में भोर से शाम तक लोग घंटा-घडि़याल सुनने के आदी हैं लेकिन वर्ष 2020 में पांच माह यह सुनने के लिए लोगों के कान तरस गए। लोगों की याददाश्त में ऐसा पहली बार हुआ है जब भगवान को भी अपने पट बंद कर कैद रहना पड़ा है। हम बात कोरोना काल की कर रहे हैं। इस साल की यह सबसे बड़ी त्रासदी थी। जो लोगों को मरते दम तक याद रहेगी।

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चित्रकूट के लिए बीत रहा साल 2020 वैसे तो उपलब्धियों भरा रहा है। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरतकूप में 14849.09 करोड़ की लागत से बनने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी। डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि का अधिग्रहण हुआ। बरगढ़ में खमीर फैक्ट्री के लिए ब्रिटेन की कंपनी ने जमीन खरीदी और साल जाते-जाते नगर पालिका के विस्तार और मऊ को नगर पंचायत का दर्जा मिला लेकिन इन खुशियों के बीच भी पूरा साल चुनौती भरा रहा। मार्च में देश पर आए कोरोना संकट की मार से चित्रकूट भी कराह उठा।

डर के साए में रहे लोग

वर्ष 2020 वाकई में चुनौतियों का टी-20 रहा है। कोरोना से लोगों का मुकाबला छह माह चला हालांकि अभी भी लोग पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं लेकिन पांच माह अधिकांश लोग घरों मे दुबके रहे। रिश्तेदार से भी दूरी बना ली थी। न तो किसी का घर में आना पसंद कर रहे थे और न किसी के घर जाना। कोई घर से नहीं निकल रहा था। गली व सड़कों में शाम को वीरान सन्नाटा पसर जाता था।

अमावस्या मेला व पर्वो का नहीं चला पता

चित्रकूट में अमावस्या मेले का बड़ा महत्व है यहां पर लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से मंदाकिनी स्नान व कामदगिरि परिक्रमा को आते हैं लेकिन कोरोना काल में अमावस्या मेला व पर्वों का कोई पता नहीं चला। बाजारों की बंदी, सड़कों पर सन्नाटा, कॉलेज-दफ्तर बंद और रेल से लेकर बसों तक के चक्के थम गए थे तो मठ मंदिर में भी ताला पड़े थे। धर्मनगरी की गलियां सूनी थीं। मंदाकिनी की लहरे भी शांत थीं। घाटों में कोई नजर नहीं आता था।

अस्पताल जाने से डरने लगे थे लोग

आज के परिवेश में अस्पताल जीवन का प्रमुख अंग बन गया है लोग छोटी-छोटी बीमारी को लेकर अस्पताल दिखाने पहुंच जाते है लेकिन कोरोना के डर ने लोगों का अस्पताल जाना बंद करा दिया था। गंभीर बीमारी पर ही कोई जाने की हिम्मत जुटा पाता था।


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