बुंदेली पहचान वापस लाएंगे साढ़े चार करोड़ के तालाब
जागरण संवाददाता चित्रकूट बुंदेलखंड के जिले कभी तालाबों के लिए खास पहचान रखते रहे है
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बुंदेलखंड के जिले कभी तालाबों के लिए खास पहचान रखते रहे हैं। इनमें वर्षा जल का संचयन कर गर्मी के दिनों में लाभ लिया जाता है। खेतों की सिचाई के साथ पशुओं के लिए पेयजल की समस्या दूर करने के प्रमुख साधन तालाब धीरे-धीरे खत्म होने लगे। अब फिर से प्रशासन की पहल पर शासन ने इस तरफ रुख किया है। बुंदेलखंड की पुरानी पहचान वापस लाने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपये से 15 जगह तालाब खोदे जा रहे हैं। जिले में 18 जगह पर खोदाई
वित्तीय वर्ष 2018-19 में लघु सिचाई विभाग की ओर से जिले में एक हेक्टेअर से बड़े 18 तालाब खोदे जाएंगे। 15 तालाबों का निर्माण बुंदेलखंड पैकेज योजना से शुरू किया गया है। इसके साथ तीन तालाब जिला योजना से बनेंगे। अलग-अलग ग्राम पंचायतों में निर्मित तालाबों से वर्षा जल की एक-एक बूंद का संचय करने की योजना है। इस साल तालाबों को बारिश के पहले खोद लेने से बेहतरी आएगी। इनमें पक्का काम भी कराया जा रहा है। अच्छी बारिश होने पर एक हेक्टेअर जमीन पर बनने वाले इन तालाबों के माध्यम से पानी का संकट काफी हद तक खत्म होगा। इन गांवों व आसपास को फायदा
बुंदेलखंड पैकेज योजना से ब्लाक कर्वी में खोह, इमलिहा (चंद्रगहना), बराछ, मुकुंदपुर व लोढ़वारा, मानिकपुर में रुकमाखुर्द, सरैया व बगरेही, पहाड़ी में सुरसेन, छेछरिया खुर्द व देहरुचमाफी, मऊ में कलचिहा, सेमरा, मुर्का और जोरवारा। जिला योजना के तहत नोनार, ताम्रबनी और कोठलिहाई में तालाब खोदे जा रहे हैं। इनका कहना है
जिले में वर्षा जल का संचय नहीं होने से लगातार भू-जल स्तर गिर रहा है। इसके मद्देनजर तालाब बनाए गए हैं। इसमें अधिक से अधिक जल संचय किया जा सकेगा।
-अवनीश कुमार, अधिशासी अभियंता लघु सिचाई विभाग चित्रकूट।