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बरुआ और ओहन की नहरें प्यासी, रसिन-गुंता में टेल तक पानी

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By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 11:48 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 06:01 AM (IST)
बरुआ और ओहन की नहरें प्यासी, रसिन-गुंता में टेल तक पानी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रदेश सरकार के प्रयास और शासन स्तर पर लगातार मॉनीटरिग से इस साल नहरों की सफाई में तेजी तो आई, लेकिन अभी तक तकरीबन 24 ऐसी नहरें हैं जिनमें टेल तक पानी नहीं पहुंचा। सिंचाई विभाग मुख्य नहरों पर तो फोकस कर रहा है, जबकि माइनर और छोटी नहरें अभी भी सफाई का इंतजार कर रही हैं। बरुआ और ओहन बांध की नहरों पर पानी नहीं पहुंचने से किसान बेहाल हैं। हालांकि रसिन और गुंता बांध से निकली नहरों की स्थिति बेहतर है। यहां अधिकांश में टेल तक पानी पहुंच गया है। ओहन बांध : इसकी स्थिति दयनीय है। कुल 15 नहरें हैं। इनमें सिर्फ ओहन मुख्य, ओहन फीडर, ओहन पश्चिमी व पूर्वी सहित पांच नहरों में टेल तक पानी पहुंचा है, जबकि दस नहरों में अभी 50 फीसद तक ही पानी पहुंच पाया है। हालांकि विभाग का दावा है कि एक दो दिन में टेल तक पानी पहुंचा देंगे। बरुआ बांध : कुल आठ नहरें हैं। मुख्य नहर ओरा में टेल तक पानी पहुंच चुका है जबकि माइनर पड़री, तरांव, बलरामपुर, बगलई, इटखरी, बारा में पानी के लिए जोरआजमाइश चल रही है। गुंता बांध : जिले का यह बांध भीषण सूखे के समय भी किसानों के लिए वरदान बनता है। बांध की मुख्य नहर 61 किलोमीटर लंबी है। 14 दिन से चल रही नहर में टेल मंडौर तक पानी पहुंच चुका है। माइनर पियरियामाफी-प्रथम व द्वितीय, ददरी, बुधवल प्रथम में टेल तक पानी पहुंचा है। यहां बुधवल द्वितीय में अभी तक किसान पानी का इंतजार कर रहे हैं। रसिन बांध : जिले का नवनिर्मित बांध है। इसके दो माइनर महुराई व गजपतपुर का निर्माण शुरू है। मुख्य नहर रसिन दाईं व बाईं और माइनर सुदिनपुर व बदौसा से किसान सिचाई करने लगे हैं। चारों नहरों में टेल तक पानी पहुंच गया है। आंकड़ों की नजर में नहरें

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-जिले में टेल फीड नहरों का लक्ष्य : 72

-अभी तक टेल फीड नहर : 48

-टेल फीड नहीं हुई नहरें : 24 नहरों की सफाई (किलोमीटर में)

मुख्य नहरों की सफाई का लक्ष्य : 134.99

अभी तक हुई सफाई : 86.57

माइनर नहरों की सफाई का लक्ष्य : 357.97

अभी तक हो चुकी सफाई : 144.87 नहरों में रबी फसल की पलेवा के लिए पानी छोड़ा गया है। अधिकांश नहरों में पानी टेल तक पहुंच चुका है। कुछ जगहों पर नहीं पहुंचा है। उनमें दो दिन में अंतिम छोर के किसान को पानी मिल जाएगा।

-आशुतोष कुमार, अधिशासी अभियंता, सिचाई विभाग चित्रकूट।


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