अन्ना पशुओं से बेखौफ हो सकेंगे अन्नदाता
जागरण संवाददाता चित्रकूट दिन भर खेतों में काम और रात को अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली। भल
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : दिन भर खेतों में काम और रात को अन्ना पशुओं से फसल की रखवाली। भला यह किसे अच्छा लगता है, पर यह अन्नदाता की दिनचर्या बन गई है। मगर, अब बुंदेलखंड की अन्ना समस्या का हल चित्रकूट ने ढूंढ़ निकाला है। यहां अब तक 125 अस्थायी पशु आश्रय केंद्र खोले जा चुके हैं। कर्वी के साथ राजापुर, मानिकपुर, मऊ, पहाड़ी व राम नगर इलाकों में इन आश्रय केंद्रों पर नियमित कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं। धीरे-धीरे बेहतरी आने की आस जगी है। पशुओं के कारण फसलें चौपट होने से भी निजात मिली है।
30 रुपये प्रति जानवर खर्च
आश्रय केंद्रों में करीब 15 हजार 700 जानवर रखे जा चुके हैं। प्रत्येक के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चारा-पानी का खर्च केंद्रों का रखरखाव करने वाली ग्राम पंचायतों को भेजा गया है। पहली किस्त में 32 लाख रुपये भेजे गए हैं। अब जिले में घूम रहे अन्ना पशुओं को भी आश्रय केंद्र पर पहुंचाया जाएगा।
पांच स्थायी केंद्रों के लिए 1.35 करोड़
जिले में पांच स्थायी पशु आश्रय केंद्र अलग-अलग ब्लॉक क्षेत्र में निर्मित कराए जा रहे हैं। इन केंद्रों के निर्मित होने से हमेशा के लिए अन्ना समस्या खत्म हो जाएगी। इनके निर्माण के लिए 1.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें करीब 1.05 करोड़ रुपये कार्यदायी संस्थाओं को मिल चुके हैं। तीन का निर्माण पूरा होने की कगार पर है। उधर, छीबों में वृहद गौ संरक्षण केंद्र के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है।
आंकड़ों पर एक नजर
ब्लॉक आश्रय केंद्र जानवर
कर्वी 43 4693
पहाड़ी 21 1797
मानिकपुर 26 5170
मऊ 11 1515
राम नगर 24 2531
कुल 125 15,706
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क्या कहते हैं अधिकारी
अन्ना जानवरों व गायों को लेकर इंतजाम बेहतर किए गए हैं। स्थायी निर्माण के बाद समस्या से पूरी तरह निजात मिल जाएगी।
- डॉ. सुधीर ¨सह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी चित्रकूट किसानों की समस्या पर शासन के संज्ञान लेने से बेहतरी आई है। जल्द अन्ना प्रथा का संकट चित्रकूट से खत्म हो जाएगा।
- विशाख जी., जिलाधिकारी चित्रकूट