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समाज में कुटुंब की भावना जाग्रत कर रहा व्यक्तित्व विकास शिविर

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कन्याकुमारी से कश्मीर तक विशाल देश भारत में समय-समय पर अनेक

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 11:56 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 11:56 PM (IST)
समाज में कुटुंब की भावना जाग्रत कर रहा व्यक्तित्व विकास शिविर
समाज में कुटुंब की भावना जाग्रत कर रहा व्यक्तित्व विकास शिविर

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कन्याकुमारी से कश्मीर तक विशाल देश भारत में समय-समय पर अनेक महापुरूषों ने जन्म लेकर समाज को एक दिशा देने का काम किया है। उन्हीं महापुरूषों में एक राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख हैं। 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र प्रांत के ¨हगोली जिले के कडोली ग्राम में इनका जन्म हुआ। उनका बाल्यकाल अत्यधिक संघर्ष पूर्ण रहा, मां की अकाल मृत्यु से जीवन में वैराग्य उत्पन्न हुआ। इस वैराग्य ने आपको राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से भारत माता की सेवा में अर्पित कर दिया। पूरे देश ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व को उन्होंने अपना कुटुम्ब मानकर मृत्योपरान्त समाज के कार्य में अपने जीवन को लगा दिया।

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दीनदयाल शोध संस्थान के रामनाथ आश्रम शाला परिसर में चल रहे 15 दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर में शिविराधिकारी चूड़ामणी ¨सह यह बात बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 'कुटुम्ब भावना ही स्वावलम्बी भारत का निर्माण कर सकती है'। विविध क्षेत्रों से आये सब बच्चें एक कुटुम्ब के रूप में एकत्र होकर प्रात: 5 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक एक पारिवारिक वातावरण में यहां पर विविध प्रकार की गतिविधियों में संलग्न हैं। पूर्ण रूप से आवासीय इस शिविर में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चार जिलों से आए 243 बालक-बालिकाओं को विविध कलाओं का प्रशिक्षण देकर उनके व्यक्तित्व में निखार लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस शिविर में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता को देखकर वैदिक कालीन गुरूकुलों का ²श्य देखने को मिल रहा है, यहां पर सभी बच्चों के लिये एक समान नियम हैं। बच्चों की रूचि अनुसार उनके अलग-अलग समूह बनाकर उन्हें कम्प्यूटर, अंग्रेजी सम्भाषण, संस्कृत सम्भाषण, रंगोली, मेंहदी, ब्यूटी पार्लर, सिलाई-कढ़ाई के साथ-साथ वाद्ययंत्रों तबला, ढोलक, हारमोनियम का अभ्यास कराने के साथ नृत्य गायन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नानाजी ने आज से 15 वर्ष पूर्व इस शिविर की शुरुआत समाज में एक कुटुम्ब भावना का व्यवहारिक पक्ष समाज के समक्ष रखने की ²ष्टि से किया था। पन्द्रह दिवसीय इस व्यक्तित्व विकास शिविर में दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन एवं संगठन सचिव अभय महाजन, अनिल मिश्रा, डा. अशोक पाण्डेय व डा. अनिल जायसवाल आदि अपना समय दे रहे हैं।


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