100 रुपये का ऑनलाइन पेमेट करने में उड़ गए 60,000
अज्ञात खातों में पैसा जाने के साक्ष्य फिर भी पीड़ित भटक रहा है। अनजान व गैर रजिस्टर्ड वेबसाइट पर न करें ऑनलाइन भुगतान
जागरण संवाददाता, कानपुर : ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया से जहां लोगों को सहुलियत मिली है वहीं अधिकांश लोग ठगी का शिकार भी हो रहे हैं। ठगे लोग जब राहत के लिए संबंधित जांच एजेंसियों से संपर्क करते हैं तो उन्हें परिणाम भी सकारात्मक नही मिलता। उपभोक्ता परेशान व बेहाल अपना धन पाने को असफल प्रयास करता दिखता है। ताजा मामला एक बेरोजगार युवक का है। जिससे नौकरी के नाम पर संबंधित कंपनी द्वारा 60 हजार रुपये ठगने का आरोप है। अपने पैसे को पाने के लिए वह इधर-उधर भटक रहा है लेकिन, काम कहीं भी नही बन पा रहा है।
किदवई नगर के बाबूपुरवा कालोनी निवासी अंकित कुमार सिंह दस वर्षो से इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग कर रहे हैं। हर छोटा से छोटा भुगतान वह इसी माध्यम से करते हैं। नौकरी की तलाश के लिए उन्होंने अपना रिज्यूम ऑनलाइन कर रखा है। इसी के चलते उन्हे एक फोन आया। फोन करने वाली युवती ने श्रठ्ठद्यद्बठ्ठद्गद्घश्रह्मद्वह्य.ष्श्र.द्बठ्ठ पर 100 रुपये का रजिस्ट्रेशन कराकर डिटेल भेजने को कहा। दरअसल संबंधित संस्थानों में इसी प्रक्रिया से वे दो नौकरी पूर्व में भी कर चुके थे। लिहाजा 8 मार्च 2018 को अंकित ने साइट के पेज पर डिटेल भरी और पेमेंट के तरीके पर डिजिटल बैंकिंग का विकल्प चुना। 100 रुपये का भुगतान करते ही पेज पर बफ¨रग होने लगी। उन्होंने पुन: कोशिश की तो फिर वही समस्या हुई। जिसके बाद उन्होंने नेटवर्क समस्या मानकर लैपटॉप बंद कर दिया। थोड़ी ही देर में 60 हजार व दो हजार रुपये के दो ट्रांजेक्शन का मैसेज उनके मोबाइल पर आया। उन्होंने बैंक, पुलिस और साइबर सेल में उसी दिन सूचना दी लेकिन मदद नहीं मिली। बताते चलें अंकित की फोन करने वाली युवती से लगातार दस दिन तक बात भी होती रही। युवती ने पैसा मिलने की बात स्वीकार की और वापस करने का आश्वासन दिया। 18 मार्च को फोन बंद हो गया।
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माई पे वर्ल्ड पर भेजा गया पैसा
अंकित ने एसबीआइ में कार्यरत अपने दोस्त की मदद से ह्मद्गश्चश्रह्मह्ल.श्चद्धद्बह्यद्धद्बठ्ठद्द@ह्यढ्डद्ब.ष्श्र.द्बठ्ठ और ह्मद्गश्चश्रह्मह्लद्घह्मड्डह्वस्त्र@श्चड्ड4ह्वद्बठ्ठ पर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की पूरी डिटेल भेजी। तो उन्हे पता चला कि माई पे वर्ल्ड एप पर पैसा भेजा गया है। इसकी जानकारी अंकित ने साइबर सेल को दी। उन्हे जानकारी हुई कि मोबीक्विक ई-वॉलेट में पांच टुकड़ों में पैसा भेजा गया। यहां से पांच अलग-अलग बैंक एकाउंट में पैसा गया जिसमे एक सरकारी जबकि चार निजी बैंक थे। साइबर सेल से ही उन्हे दिल्ली के एक एचपी पेट्रोल पंप से 2190 रुपये का पेट्रोल भरवाने और एक टेलीकॉम कंपनी का रिचार्ज करवाने जैसी जानकारी हुई।
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सीपी ग्राम पर शिकायत के बाद चेते अफसर
लगातार बैंक से हो रही अनदेखी के बाद 31 मार्च को अंकित ने केंद्र सरकार के पोर्टल सीपी ग्राम पर आइडी बनाई और अपने साथ हुई धोखाधड़ी, बैंक अफसरों के व्यवहार की पूरी जानकारी दी। 9 अप्रैल को उन्हे एक मेल मिला जिसके बाद बैंक अफसरों का फोन आया। बैंक के साइबर सेल के अफसरों ने उनसे फार्म भरवाया और कार्रवाई शुरू की। अंकित बताते हैं कि अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बाद वह लोगों को अंजान व गैर रजिस्टर्ड वेबसाइट पर भुगतान न करने की जानकारी देते हैं। साथ ही धोखाधड़ी होने पर तत्काल उक्त दोनों वेबसाइट पर शिकायत करने और अफसरों के न सुनने पर सीपी ग्राम पर शिकायत करने की सलाह भी देते हैं।