वाह रे सिस्टम, वनवासियों को राशन भी नहीं दे पा रहा प्रशासन
जागरण संवाददाता चंदौली सूबे की सरकार वनवासियों के उत्थान को तमाम योजनाएं चला रही लेकिन
जागरण संवाददाता, चंदौली : सूबे की सरकार वनवासियों के उत्थान को तमाम योजनाएं चला रही लेकिन उन्हें आज भी उनका वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा तो दूर दो वक्त की रोटी के लिए आपूर्ति विभाग गरीबों को राशन मुहैया नहीं करा पा रहा है। कोटे की दुकान से खाद्यान्न के लिए आनलाइन आवेदन किए दो माह बीत गए लेकिन राशन नसीब नहीं हुआ। कार्यालय के कर्मचारी कोटेदार पर और कोटेदार विभाग के ऊपर ठीकरा फोड़ अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे में गरीबों को दो वक्त की रोटी के लिए जलालत झेलनी पड़ रही है।
शहाबगंज विकास खंड के मुबारकपुर (मझराती वन भूमि पर) गांव में चार दशक से करीब डेढ़ सौ की आबादी वाले वनवासियों का कुनबा आबाद है। इनकी गलती यही कि ये अन्य गांवों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं लेकिन उक्त गांव में इनके रहने के लिए एक धूर भी जमीन नहीं है। ऐसे में वनवासियों का परिवार पांच वर्ष में केवल एक बार अपने मत का प्रयोग करने के लिए भी मूल गांव में जाता है। नतीजा इन वनवासियों को न तो आवास, पेंशन आदि योजनाओं का लाभ मिल रहा और ना ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न ही उपलब्ध हो पा रहा है। करीब दो दर्जन वनवासी परिवारों की ओर से दो माह पूर्व जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर राशन उपलब्ध कराने की मांग की गई। बकायदा आनलाइन आवेदन भी किया गया, लेकिन आज तक उन्हें एक छंटाक खाद्यान्न नहीं मिल पाया। आपूर्ति कार्यालय के जिम्मेदार कर्मी कोटेदार को बोल दिए हैं कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ ले रहे हैं। वहीं कोटेदार द्वारा वनवासियों से कागज दिखाओ का हवाला देकर लौटा दिया जाता है। ऐसे में यह कहा जाए कि क्या प्रशासन वास्तविक पात्रों को भी राशन नहीं उपलब्ध करा पा रहा तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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वर्जन
वनवासियों को राशन क्यों नहीं मिल रहा है। इसकी जांचकर कराकर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।
देवेंद्र प्रताप सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी