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जब भवन ही उधार का तो 'विकास' कैसे मिटाए पिछड़ेपन का कलंक

जागरण संवाददाता, चंदौली: इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए..? 21 वर्ष के हो चुके जिले में विक

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 11:14 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 11:14 PM (IST)
जब भवन ही उधार का तो 'विकास' कैसे मिटाए पिछड़ेपन का कलंक

जागरण संवाददाता, चंदौली: इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए..? 21 वर्ष के हो चुके जिले में विकास का पहिया घुमाने को यही से रणनीति बनती है। दुख इस बात का कि विकास की नींव तैयार करने वाले भवन की खुद की नींव अपनी नहीं है। हालांकि, वर्षाें से प्रशासन भवन बनाने को जमीन तलाश रहा जो दो दशक बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। लिहाजा जहां से चले वहीं आज भी खड़े हैं। ऐसे में खुद की तरक्की को परेशान 'विकास' आखिर कैसे मिटाए पिछड़ेपन का कलंक? लाख टके का सवाल है।

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वर्ष 1996-97 में वाराणसी से अलग कर चंदौली जनपद का सृजन किया गया। विकास को रफ्तार देने की बारी आई तो भवन की तलाश आरंभ हुई। आनन-फानन में कृषि प्रसार अधिकारी के कार्यालय को विकास भवन बना दिया गया। विकास की गाड़ी आगे बढ़ी तो विकास को कर्मचारियों व अधिकारियों की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने को भवन को दो मंजिला बना दिया गया। देखा जाय तो एक मंजिला भवन की नींव चालीस वर्ष पुरानी हो चुकी है। ऐसे में दो मंजिला भवन बनाना खतरे से खाली नहीं है। हाल ही में हाइवे निर्माण के दौरान भवन हिलने लगा था। अधिकारी कर्मचारी सकते में आ गए थे कि कहीं भवन गिर न जाय। बहरहाल विकास भवन को अपना भवन मुहैया कराने को वर्षों से जिला प्रशासन मैराथन दौड़ लगा रहा। अधिकारी मृगमरीचिका की तलाश में कि शायद कहीं जमीन मिल जाए। वास्तविकता है कि आज तक ठोस प्रयास किए ही नहीं गए। कभी कांशीराम आवास के बगल में स्थित जमीन में विकास भवन बनाने की बात चली तो कभी धूरी कोट गांव में जमीन मिलने की आस। ठोस रणनीति के अभाव में भवन बनाने की मंशा काफूर हो गई। बीते फरवरी माह में तत्कालीन जिलाधिकारी हेमंत कुमार ने सदर ब्लाक परिसर में कर्मचारियों के आवास को तोड़कर विकास भवन बनाने का शासन को प्रस्ताव भेज, जिसे मंजूरी नहीं मिल पाई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब विकास भवन को अपना भवन ही नहीं मिल पाया है तो पिछड़ेपन के दंश को कैसे दूर किया जाय। वर्जन .. सदर ब्लाक परिसर में विकास भवन बनाने को शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन ने निर्माण के बाबत रिपोर्ट मांगी है। अन्य स्थानों पर भी उपयुक्त जमीन की तलाश की जा रही है। विकास भवन बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

डा. एके श्रीवास्तव मुख्य विकास अधिकारी


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