.. तो उस नेटवर्क की कमजोरी शिल्पी को ताउम्र शालती रहेगी
शिल्पी के लिए गुरुवार का दिन ही अपशगुन वाला रहा ..। कई प्रयासों के बाद पति से बात हुई तो कमजोर नेटवर्क खलनायक बन बैठा। वह भी ऐसा कि फिर से नेटवर्क की लाइन अवधेश से कभी नहीं जुड़ पाएगी। ऐसे में कुछ कही, सुनी के बाद हैलो-हैलो के बाद फोन कट हो गया।
जासं, चंदौली : शिल्पी के लिए गुरुवार का दिन ही अपशगुन वाला रहा ..। कई प्रयासों के बाद पति से बात हुई तो कमजोर नेटवर्क खलनायक बन बैठा। वह भी ऐसा कि फिर से नेटवर्क की लाइन अवधेश से कभी नहीं जुड़ पाएगी। ऐसे में कुछ कही, सुनी के बाद हैलो-हैलो के बाद फोन कट हो गया। आशंका की दोनों ही उस नेटवर्क को कोस रहे होंगे कि अभी इसे फेल होना था, लेकिन उन्हें क्या पता कि सिग्नल ताउम्र के लिए कमजोर पड़ गया है। सीआरपीएफ के 45वीं बटालियन का जवान अवधेश (32) से उनकी पत्नी शिल्पी की गुरुवार दोपहर में करीब दो बजे कुछ पलों की बात हुई। उस समय अवधेश कानवाई की गाड़ी में बैठकर रवाना हो रहा था। ऐसे में दंपती की बातचीत में कमजोर नेटवर्क विलेन बन रहा था। आवाज कट-कटकर आनी शुरू हुई तो अवधेश ने कहा, सबकुछ जल्दी से कह डालो, नेटवर्क कमजोर पड़ने लगा है। लेकिन ऐसा संभव कहां? उम्र भी, बात करने की हसरतें भी और ढेर सारी बातें ऐसे सबकुछ कहना शिल्पी के लिए संभव न हो सका। चूंकि फौजी जम्मू कश्मीर में तैनात था लिहाजा नेटवर्क की समस्या परिवार एवं पत्नी के लिए कोई नई बात नहीं थी। ऐसे में जब भी फोन आता पिता, मां, छोटा भाई एवं मासूम बेटा समेत सभी अपने-अपने तरीके से बात करने से चूकना नहीं चाहते थे। गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ फोन डिसकनेक्ट हुआ तो दरवाजे पर बाबूजी एवं एक कमरे में पड़ी मां निराश हुईं। लेकिन उन्हें क्या पता था आज की नाउम्मीदी पूरे जीवन की निराशा बनने वाली है। दरअसल, परिवार के लोग रोजाना की इस मुश्किल से उबरते हुए दूसरे कामों में मशगुल हुए ही थे कि कुछ घंटे आतंकी हमले की खबर आ गई। फिर मिनट दर मिनट बीतते जो कुछ होता गया उसे वह फौजी परिवार ही नहीं पूरा देश कभी नहीं भुला सकेगा ..।