ओडीएफ की राह में ग्राम प्रधानों ने अटकाया रोड़ा
गांवों को खुले में शौच मुक्त अभियान की राह में ग्राम प्रधानों के रोड़ा अटकाने से जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दो अक्टूबर तक जनपद को ओडीएफ घोषित करने में अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं। आने वाले दिनों में भी प्र
जागरण संवाददाता, चंदौली: गांवों को खुले में शौच मुक्त अभियान की राह में ग्राम प्रधानों के रोड़ा अटकाने से जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दो अक्टूबर तक जनपद को ओडीएफ घोषित करने में अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं। आने वाले दिनों में भी प्रधानों व प्रशासन की तनातनी बनी रही तो शासन की मंशा पर ग्रहण लगना तय है। वैसे जिला पंचायत राज विभाग 98 फीसद लक्ष्य पूर्ति का दावा कर रहा है।
शासन ने दो अक्टूबर तक जनपद को प्रत्येक दशा में खुले में शौच मुक्त करने का निर्देश जारी किया है। इसके मद्देनजर शासन स्तर से वीडियो कांफ्रे¨सग के जरिए मानीट¨रग की जा रही। वहीं जिला पंचायत राज विभाग के अफसरों के साथ ग्राम सचिव, एडीओ पंचायत, बीडीओ के साथ जनपद के समस्त विभागों के अफसर गांवों की खाक छान रहे। अफसरों को एक न्याय पंचायत की जिम्मेदारी सौंपे जाने से सुबह होते ही वे गांवों की ओर कूच जा रहे। वहीं स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत चयनित स्वच्छाग्राहियों की टीम भी ग्रामीणों को जागरूक करने का काम कर रही। लेकिन नतीजा अभी भी असंतोषजनक बना हुआ है। 3 लाख 19 हजार 60 परिवारों के सापेक्ष अब तक 2 लाख 97 हजार 601 परिवारों के यहां ही शौचालय का निर्माण हो पाया है। वहीं 1430 राजस्व गांवों में अब तक 936 गांव ही ओडीएफ होने की स्थिति में हैं। लेकिन यह कागजी आंकड़ा है, वास्तिवकता इससे परे है। वहीं प्रधानों के खिलाफ जिलाधिकारी की कार्रवाई ने ओडीएफ की संभावनाओं पर ब्रेक लगा दिया है। कल तक जो ग्राम प्रधान पंचायतों में शौचालय निर्माण को गति प्रदान कर रहे थे। वे जिला मुख्यालय पर प्रशासन के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। ग्राम प्रधानों ने शौचालयों के निर्माण में सहयोग करने से अपना हाथ ¨खच लिया है। ऐसे में निर्माण की गति में अवरोध उत्पन्न होने से शासन की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ----
दो अक्टूबर तक जनपद को ओडीएफ करने का प्रयास जारी है। शौचालय निर्माण की स्थिति 98 फीसद के करीब पहुंच गई है। 936 राजस्व गांव ओडीएफ घोषित करने की स्थिति में हैं।
मनोज श्रीवास्तव, समन्वयक स्वच्छता मिशन