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हरी खाद के प्रयोग से भूमि में बढ़ेगी जीवांश की मात्रा

हरी खाद के प्रयोग से भूमि में बढ़ेगी जीवांश की मात्रा

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 11:29 PM (IST)
हरी खाद के प्रयोग से भूमि में बढ़ेगी जीवांश की मात्रा

जासं, चंदौली : भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसान हरी खाद का प्रयोग करें। मसलन धान की रोपाई से पूर्व फसल चक्र के रूप में ढैंचा की खेती करना आवश्यक है। इससे भूमि की जलशोषण व जलधारण की क्षमता तो बढ़ेगी ही, खेत की नमी बनी रहने के साथ वायु का भी अच्छा संचार होगा। इतना ही नहीं भूमि में जीवांश की मात्रा बढ़ने से उर्वरा शक्ति में इजाफा होगा।

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कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. समीर पांडेय ने कहा अच्छी खेती करने के लिए भूमि में जीवांश की मात्रा का होना आवश्यक है। इससे भूमि की नमी रोकने की क्षमता में वृद्धि होती है। साथ ही वायु का अच्छा संचार होने से फसल को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। वर्तमान में किसानों के पास पशुधन की कमी होने से पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में हरी खाद के प्रयोग पर विशेष बल देने की जरूरत है, ताकि भूमि में नाइट्रोजन एवं जीवांश की मात्रा में वृद्धि हो सके। इससे भूमि की उर्वरा एवं उत्पादकता बढ़ेगी। कहा कि हरी खाद के रूप में किसानों को फसल चक्र के रूप में ढैंचा, सनई, उड़द व मूंग की खेती करनी चाहिए। बताया कि विलंब से धान की रोपाई करने वाले किसान ढैंचा की खेती से खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। ढैंचा की खेती से फायदा

ढैंचा एक ऐसा पौधा होता है जो पानी की कमी व अधिकता दोनों स्थिति में बढ़ने की क्षमता रखता है। कैल्शियम की अधिकता होने पर यह सोडियम लवण को हटाने में सक्षम होता है। ढैंचा की मूसला जड़ें जमीन को पोली बनाने में सहायक होती हैं। ढैंचा की एक क्विटल हरी खाद लगभग तीन क्विटल गोबर की खाद के बराबर होती है।


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