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तालाब के चारों तरफ होती मेड़बंदी तो न होता हादसा

- न प्रकाश की व्यवस्था व ही कोई समुचित संसाधन फालोअप --- - ज्यादातर तालाबों के भीटों पर रहत

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 09:17 PM (IST)
तालाब के चारों तरफ होती मेड़बंदी तो न होता हादसा
तालाब के चारों तरफ होती मेड़बंदी तो न होता हादसा

- न प्रकाश की व्यवस्था व ही कोई समुचित संसाधन

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फालोअप ---

- ज्यादातर तालाबों के भीटों पर रहते हैं वनवासी परिवार

जागरण संवाददाता, सकलडीहा (चंदौली) : सोलह बीघे के लंबे-चौड़े तालाब के चारों ओर मेड़बंदी होती तो शायद हादसा टल सकता था। मत्स्य विभाग ने तहसील के दूसरे सबसे बड़े तालाब पर सुरक्षा का कोई प्रबंध नही किया है। आवंटी द्वारा भी प्रकाश सहित कोई समुचित व्यवस्था नही की गई है। भाई के सामने दोनों सगी बहनों की हुई मौत

बिदू और इंदू अपने बड़े भाई पवन वनवासी के साथ तालाब के दूसरे छोर पर खेल रही थी। तालाब में उतराए एक डिब्बे को निकालते समय इंदू पानी में चली गई। उसे बचाने गई दूसरी बहन भी गहरे पानी मे समा गई। कुछ ही देर में टूट गई बच्चियों की सांसें

डूबती हुई बहनों को बचाने के लिये दौड़े 60 वर्षीय दादा सहादुर उम्र की परवाह किये बगैर तालाब में कूद पड़े।काफी प्रयास के बाद जब तक दोनों को बाहर निकाला। तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थीं। शवों को बाहर निकालने के बाद सहादुर फूट- फूटकर रोने लगे। तहसील के बड़े तालाबों के भीटों पर रहता है वनवासियों का कुनबा

केंद्र और प्रदेश सरकार की तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद अमावल गांव स्थित 52 बीघे के सबसे बड़े तालाब पर बने भीटे पर 40-50 वनवासी परिवार रहता है। इससे कभी भी बड़ी घटना घट सकती है। इसे लेकर स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधि की चुप्पी सवालों के घेरे में है। यही स्थिति अन्य तालाबों की भी है। तालाब के भीटों पर बनवासी लोग रहते हैं।


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